लखनऊ में हज हाउस की बदली तस्वीर, चढ़ा भगवा रंग
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 5, 2018 04:14 PM2018-01-05T16:14:21+5:302018-01-05T16:40:44+5:30
हज हाउस की दीवारें सफेद और हल्की हरे रंग में थीं, लेकिन अब इसकी दीवारों पर गेरुआ रंग चढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में योगी 'राज' के शुरू होने के साथ ही असर भी दिखने लगा है। लखनऊ की सड़कों पर अब 'समाजवादी लाल' के बाद भगवा रंग छाने लगा है। स्कूल और बसों के बाद अब योगी सरकार ने लखनऊ स्थित हज हाउस को भगवा रंग में रंग दिया है, इससे पहले हज हाउस की दीवारें सफेद और हल्की हरे रंग में थीं, लेकिन अब इसकी दीवारों पर गेरुआ रंग चढ़ रहा है।
योगी सरकार के इस कदम पर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी नेताओं और उलेमाओं ने इस कदम का धुर-विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार इस मामले में भी मजहबी जज्बात कुरेदने में जुटी है। इससे पहले भी उत्तरप्रदेश में काफी जगह इस प्रकार का प्रयोग हो चुका है।
Uttar Pradesh: Exterior walls of Haj House in Lucknow painted saffron. pic.twitter.com/xio9celKeL
— ANI UP (@ANINewsUP) 5 January 2018
हज हाउस को भगमामय बनाने पर यूपी के मंत्री मोहसीन रजा ने कहा है कि 'ऐसे चीज़ों में विवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि भगवा रंग एक उज्ज्वल और ऊर्जावान रंग है जिससे दीवारें सुंदर दिखती है। विपक्ष के पास हमारे खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नहीं है इसलिए वो बेवजह चीज़ों को बढ़ा रहें है। विपक्षी दलों से लेकर उलेमाओं ने एतेराज जताया हैं। हालांकि यह पहला मामला नही है। सरकार बनने के बाद से ही भगवा रंग का जादू दिखने लगा था।
बुधवार (तीन जनवरी) को मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी मदरसा बोर्ड से जुड़े 16461 मदरसों को विभिन्न हिन्दू त्योहारों पर बंद करने का आदेश दिया है। मदरसों को महानवमी, दशहरा, दिवाली, रक्षा बंधन, बुद्ध पूर्णिमा और महावीर जंयती पर अवकाश करने का आदेश दिया गया है। मदरसों को रमजान समेत मुस्लिम त्योहारों पर दिए जाने वाले अवकाश की संख्या कम करने के लिये कहा गया है। राज्य सरकार ने प्रदेश में अवकाशों की संख्या 92 से घटाकर 86 कर दी है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के सभी मदरसों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने को लेकर विवादों से घिर गयी थी। मदरसों ने पीएम मोदी की तस्वीर लगाने से इनकार कर दिया है। इस मसले पर राज्य सरकार के अधिकारियों ने मीडिया को दी सफायी में कहा कि ये आदेश सभी शिक्षण संस्थाओं को दिया गया है और किसी भी संस्थान को उसकी धार्मिक मान्यता के खिलाफ कुछ करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।