लखनऊः उत्तर प्रदेश में घरों को रोशन करने वाली बिजली लोगों ही जान भी ले रही हैं. बीते ढाई साल राज्य के हर जिले में पावर कार्पोरेशन के खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण करंट लगने की 11 हजार से अधिक दुर्घटनाएं हुईं. ऐसी दुर्घटनाओं में 3606 लोगों की मौत हुई. यही नहीं बिजली के खंभे से उतर करंट के कारण 3600 मवेशियों की मौत हुई. जबकि बिजली की तारों से निकली चिंगारी की वजह से हुए 3,825 अग्निकांड में करोड़ों की फसल जल गई. इन सारी दुर्घटनाओं के चलते यूपी पावर कारपोरेशन को करीब दो अरब रुपये के आसपास देना पड़ा है.
विद्युत सुरक्षा निदेशालय के निदेशक जीके सिंह के अनुसार, विभाग बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लगातार सतर्कता बरत रहा है. परंतु बिजली के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का ग्राफ जिस गति से नियंत्रित होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है, लेकिन इस अब ऐसी घटनाओं में लगातार कमी हो रही है.
हर घटना का दिया गया मुआवजा
जीके सिंह ने यह दावा विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिपोर्ट को प्रस्तुत करते हुए किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, योगी सरकार में मार्च 2023 से 15 सितंबर 2025 के बीच करीब 11 हजार बिजली से जुड़ी दुर्घटनाएं हुईं हैं. ऐसी दुर्घटनाओं में 3606 लोगों की मौत गई है. इन मरने वाले लोगों में 257 बिजली कर्मी तथा 3,349 आम नागरिक हैं. जबकि 3600 मवेशियों की भी मौतें हुई हैं,
ज्यादातर मवेशियों की मौत बिजली के पोल में करंट उतरने और जलभराव में करंट प्रवाहित होने तथा तार टूटकर गिरने से हुई हैं. जीके सिंह के मुताबिक करंट लगने से व्यक्ति की मौत पर पांच लाख मुआवजा दिया जाता है. जबकि मवेशी की मौत पर उसकी नस्ल के आधार पर राजस्व विभाग रिपोर्ट मिलने पर मुआवजा दिया जाता है. फसल जलने पर भी राजस्व विभाग के रिपोर्ट के आधार पर किसान को मुआवजा दिया जाता है. बीते ढाई वर्षों में पावर कार्पोरेशन ने दो अरब से अधिक का मुआवजा दिया है जो विभाग को घाटे में पहुंचा रहा है.
जीके सिंह का दावा है कि करंट लगने से होने वाली हर दुर्घटना का मुआवजा लोगों को दिया गया है. ऐसी किसी भी घटना को दबाया नहीं गया है. स्थानीय लोगों के विरोध पर ही विभाग दुर्घटनाओं की जांच विद्युत सुरक्षा निदेशालय से करवाता है और लोगों मुआवजा दिलाता है.
दुर्घटना में कमी आयी
जीके सिंह का कहना है कि राज्य में करंट लगने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निदेशालय ने गाइडलाइन जारी की हुई है. जिसके तहत लोगों को बिजली के पोल से दूर रहने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही पावर कारपोरेशन में वितरण से जुड़े अभियंताओं को बताया जाता है कि कैसे दुर्घटनाओं का ग्राफ शून्य पर लाएं.
किस तरह से बिजली कर्मी सुरक्षा के मानकों के आधार पर बिजली की फाल्ट को ठीक करें. यही नहीं बिजली से होने वाली हर दुर्घटना की जांच कर उसके बारे में बिजलीकर्मियों को अवगत कराया जाता है, ताकि दोबारा ऐसी दुर्घटना ना हो. इस तरह के प्रयासों के कारण हर साल करंट लगने से होने वाली दुर्घटनाओं का ग्राफ कम होता जा रहा है.
मुआवजा देने का यह है नियम
जीके सिंह के अनुसार, राज्य में करंट लगने से होने वाली मौत पर पांच लाख रुपए का मुआवजा देने का नियम है. इसके अलावा अगर अगर फसल जलती है तो विद्युत सुरक्षा निदेशालय की टीम जांच करती है. खेत में लगी फसल क्या थी और उसका सरकारी मूल्य क्या है? राजस्व विभाग इसको लेकर रिपोर्ट देता है. उसके आधार पर मुआवजा दिया जाता है. करंट लगने से अगर मवेशी मरता है तो उसकी नस्ल के अनुसार मुआवजा दिया जाता है.