यूपी विधानसभा में अब लगेंगे एआई सिस्टम के कैमरे?, हर एमएलए के पटल पर टैबलेट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 16, 2025 22:25 IST2025-07-16T22:24:45+5:302025-07-16T22:25:19+5:30
विधानसभा सचिवालय ने ई टेंडर जारी किया है. खुद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह जानकारी दी है.

file photo
लखनऊः देश में हुए पहले आम चुनावों के बाद वर्ष 1951 में नवगठित उत्तर प्रदेश की पहली विधानसभा का गठन हुआ था. तब से लेकर अब तक विधानसभा के मुख्य भवन में कुछ ना कुछ नया होता रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब से सूबे की सत्ता पर काबिज हुए हैं, उसके बाद से तो यूपी विधानसभा के सदन के भीतर ही तमाम नए बदलाव हो गए हैं. विधानसभा सके सदन में विधायकों के पटल पर शानदार टैबलेट लगा दिए गए हैं. विधानसभा का सदन अब पेपरलेस हो गया है. यह क्रांतिकारी बदलाव करने के साथ ही अब विधानसभा की सुरक्षा में लगे पुराने कैमरों को हटाकर उनके स्थान पर एआई सिस्टम से लैस दुनिया के सबसे एडवांस कैमरों को लगाया जाएगा. इन कैमरों से ना केवल चेहरों की पहचान हो सकेगी बल्कि एक-एक विधायक के क्रियाकलापों की निगरानी भी का जा सकेगी. अगले 45 दिनों में यह कैमरे लगाए जाने की तैयारी है. इसके लिए विधानसभा सचिवालय ने ई टेंडर जारी किया है. खुद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह जानकारी दी है.
कैमरों की खासियत
- एआई सिस्टम से लैस कैमरा और उसका सिस्टम भीड़ में एक-एक चेहरे को स्कैन कर उनका पूरा ब्योरा सेकंडों में उपलब्ध कराएगा.
- एआई सिस्टम से लैस कैमरा वीडियो, फोटो और आवाज रिकॉर्ड करने की क्षमता के साथ यह सिस्टम डीप लर्निंग डेटा का उपयोग करेगा.
- एआई सिस्टम से लैस कैमरे भीड़ में किसी भी व्यक्ति का चेहरा तुरंत पहचान लेगा, भले ही वह आंशिक रूप से ढका हो या व्यक्ति ने दाढ़ी, मूंछ, चश्मा, या हेयर स्टाइल में बदलाव किया हो.
- एआई सिस्टम से लैस कैमरे का सिस्टम विधायकों और अन्य व्यक्तियों की गतिविधियों की स्वचालित रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसमें नाम, समय, तारीख और लोकेशन जैसे विवरण शामिल होंगे.
एआई-आधारित निगरानी सिस्टम के तहत होगी सदन की कार्यवाही
सतीश महाना के अनुसार, विधानसभा की सुरक्षा के मद्देनजर जिन एआई सिस्टम से लैस कैमरे लगाए जाने हैं, उन कैमरों की खासियत दर्जनों की भीड़ में भी चेहरे पहचानने की है. इस खूबी के चलते विधानसभा के चप्पे-चप्पे पर यह कैमरे लगाए जाएंगे. इन एआई आधारित कैमरों में चेहरा पहचानने के लगे सिस्टम में वीडियो, फोटो और आवाज रिकॉर्ड करने की तकनीक होगी.
इस सिस्टम में चेहरा देखकर व्यक्ति की नाम के साथ गणना, समय और तारीख भी प्राप्त की जा सकेगी. यही नहीं विधानसभा क्राउड एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर के दायरे में भी इसकी पहुंच रहेगी. इसके तहत भीड़ में एक-एक चेहरे को पहचानकर उनका नाम सहित रिकॉर्ड सेकेंडों में देखा जा सकेगा.
एआई सिस्टम का कैमरा छिपे या अधखुले चेहरों को भी पहचान लेगा और अलग-अलग रंग-रूप में ढले एक व्यक्ति को भी पकड़ लेगा. इस सिस्टम में सभी विधायकों का पूरा ब्योरा भी दर्ज होगा. आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा की कार्यवाही इस नए एआई-आधारित निगरानी सिस्टम के तहत होगी.
तो क्या यह है कैमरा लगाने की वजह
सतीश महाना के मुताबिक यह एआई सिस्टम करीब 42 डिवाइसों के साथ काम करेगा. इसमें सभी विधायकों का पूरा ब्योरा, उनका नाम, लिंग, और अन्य जानकारी दर्ज होगी. यह नए एआई सिस्टम को विधानसभा मंडप में पहले से स्थापित ऑडियो-वीडियो सिस्टम के साथ तालमेल बनाएगा. इसके लिए कंपनी को सामंजस्यता का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना होगा.
सतीश महाना का दावा है कि यह नई पहल से विधानसभा की सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी. यह सिस्टम न केवल विधानसभा की कार्यवाही को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि विधायकों की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगा. यह तकनीक अनधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश को रोकने और संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई करने में मदद करेगी.
यहीं नहीं कोई भी व्यक्ति विधानसभा में पान मसाला खाकर अगर फर्श को गंदा करेगा तो उनकी भी पहचान इस कैमरे के जरिए की जा सकेगी. यह बात भले ही इस सिस्टम को लगाने के लिए हंसी में कही गई लेकिन इस सिस्टम को लगाने की वजह भी यहीं बताई जा रही है. हुआ यह था कि बीते विधानसभा सत्र के दौरान किसी विधायक ने पान मसाला खाकर उसे सदन के प्रवेश द्वार के किनारे थूक दिया था.
और अचानक ही प्रवेश द्वार के उस गंदे कोने पर विधानसभा अध्यक्ष की निगाह पड़ गई और उन्होने सदन में सभी विधायकों को इसकी जानकारी दी और कहा कि भविष्य में कोई विधानसभा के भीतर पान मसाला खाकर गंदगी ना करे. इसकी के बाद अब विधानसभा में हाइटेक कैमरे लगाए जाने को तमाम विधायक पुरानी घटना से जोड़ रहे हैं.

