UP News: पोर्टल की खामी का लाभ उठाकर खूब हुई खनन राजस्व की लूट, 5 वर्षों में करीब 5000 करोड़ रुपए का खनन राजस्व हड़पा गया

By राजेंद्र कुमार | Updated: August 18, 2025 19:44 IST2025-08-18T19:44:12+5:302025-08-18T19:44:37+5:30

भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस खुलासा पर अब जांच कराने का आश्वासन दिया है.

UP News: Taking advantage of the flaws in the portal, mining revenue was looted in large quantities, mining revenue worth about Rs 5000 crore was usurped in 5 years | UP News: पोर्टल की खामी का लाभ उठाकर खूब हुई खनन राजस्व की लूट, 5 वर्षों में करीब 5000 करोड़ रुपए का खनन राजस्व हड़पा गया

UP News: पोर्टल की खामी का लाभ उठाकर खूब हुई खनन राजस्व की लूट, 5 वर्षों में करीब 5000 करोड़ रुपए का खनन राजस्व हड़पा गया

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में अवैध खनन करने वाली ठेकेदार बेहद शातिर हैं. यह लोग ना सिर्फ अफसरों और नेताओं से मिलकर अवैध खनन करने में सफल होते हैं. बल्कि खनन का पटटा लेने वाले इन ठेकेदारों ने फर्जी ट्रांज़िट पास के जरिए खनन राजस्व की भी खूब लूट की है. योगी सरकार के पहले शासनकाल में तमाम खनन ठेकेदारों ने माइन मित्रा पोर्टल की खामियों का फायदा उठाकर दूसरे राज्यों से जारी ट्रांज़िट पास के जरिए 5726.53 करोड़ रुपए के राजस्व की लूट की है. भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस खुलासा पर अब जांच कराने का आश्वासन दिया है. उन्होंने यह भी कहा है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तो की ही जाएगी, अवैध खनन के परिवहन को रोकने के लिए बनाए गए माइन मित्रा पोर्टल की खामियों को भी दूर किया जाएगा.

कैग रिपोर्ट से हुआ खुलासा :  

बीते हफ्ते सदन के पटल पर रही गई कैग रिपोर्ट में वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक यूपी में हुए खनन राजस्व के आंकड़ों के आधार पर खनन राजस्व की हुई लूट का खुलासा किया. इस रिपोर्ट में विस्तार से यह बताया गया कि माइन मित्रा पोर्टल का सत्यापनतंत्र दोषपूर्ण है. इसी पोर्टल से यूपी में खनन परिवहन के ट्रांज़िट पास जिन्हे  ई-एमएम-11 कहा जाता है, जारी किए जाते हैं. खनन ठेकेदारों द्वारा कार्यदायी संस्थानों में रायल्टी भुगतान के लिए यह ट्रांज़िट पास पेश किए जाते हैं. कैग ने अपनी जांच में यह पाया कि उत्तराखंड और यूपी से सटे अन्य राज्यों से जारी उप खनिजों के ट्रांज़िट पासों को कार्यदायी संस्थाओं की ओर से एक ही पोर्टल पर व्यक्तिगत लागिंग के माध्यम से पोर्टल पर डाला गया और पोर्टल से ट्रांज़िट पास भी जारी हो गया. जिसके जरिए राज्य के उप खनिज को बिना कोई राजस्व दिए एक जिले से दूसरे जिले भेजा गया. अवैध खनन के इस पारिवहन के चलते प्रदेश को पांच वर्षों में करीब 5726.53 करोड़ रुपए खनन राजस्व की क्षति हुई. 

ऐसे हुई खनन राजस्व की भारी क्षति : 

खनन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक राज्य में 20,100 करोड़ रुपए के खनन राजस्व प्राप्त किए जाने का लक्ष्य तय हुआ था. इसके सापेक्ष पांच वर्षो में 14,373.47 करोड़ रुपए की खनन राजस्व के तौर पर प्राप्त किए जा सके. खनन राजस्व में कमी की वजह को खनन के अवैध तरीके से हुए परिवहन को माना जा रहा है.अधिकारियों का कहना है कि राज्य में करीब 35,000 वाहन खनिजों के परिवहन में रजिस्टर हैं. इतनी बड़ी संख्या में बालू, गिट्टी, मौरंग तथा अन्य उप खनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों के कारण ही 20 सितंबर 2000 को माइन मित्रा पोर्टल तैयार कराया गया था, ताकि इसके जरिए ट्रांज़िट पास जारी कर खनन राजस्व को होने वाली क्षति पर रोक लगाई जा सके. 

सरकार की मंशा में अवैध खनन में सक्रिय  ठेकेदारों ने सेंध लगा दी. कैग की रिपोर्ट बताती है कि अन्य राज्यों से जारी ट्रांज़िट पास जो किसी अन्य व्यक्ति के नाम से जारी किया गया था, उसके पास को माइन मित्रा पोर्टल ने यूपी में किसी अन्य व्यक्ति के नाम जारी कर दिया. कैग को ऐसे तमाम मामले सूबे के कई जिलों में मिले. कैग ने यह भी पाया कि माइन मित्रा पोर्टल के जारी ट्रांज़िट पास में दर्शए गए सभी विवरणों की पुष्टि नहीं करता. पोर्टल की इन खामियों को उजागर करते हुए कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि कार्यदायी संस्था के आहरण एवं वितरण अधिकारियों द्वारा इस अनियमितता को पकड़ने में भारी चूक की गई है. इसकी वजह पोर्टल के विवरण को सत्य मानना रहा है क्योंकि इस पोर्टल को वर्ष 2022 में डिजिटल इंडिया अवार्ड्स में प्लैटिनम अवार्ड से नवाजा जाना रहा है. इस लिए अधिकारियों के मन में पोर्टल की चूक आई ही नहीं और ठेकेदारों के पोर्टल की खामी का फायदा उठाकर खनन राजस्व को भारी क्षति पहुंचा दी. 
  
खनन राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य था : 20,100 करोड़ रुपए
खनन राजस्व के रुप में प्राप्त हुए : 14,373.47 करोड़ रुपए
खनन राजस्व को हुई कुल क्षति :  5726.53 करोड़ रुपए 

Web Title: UP News: Taking advantage of the flaws in the portal, mining revenue was looted in large quantities, mining revenue worth about Rs 5000 crore was usurped in 5 years

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