लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जिलों का नाम बदलने की सियासत में अब सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी मैदान में उतार गए गए हैं. उन्होने सूबे के अलीगढ़ जिले का नाम हरिगढ़ रखने का मुद्दा फिर से गर्मा दिया है. कुछ वर्षों से इस जिले का नाम बदले जाने की मांग हो रही हैं. अलीगढ़ के भाजपा सांसद तो कई बार जिले का नाम हरिगढ़ किए जाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन सूबे की सरकार ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी. परंतु अब राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अलीगढ़ का नाम बदले जाने पर सहमति जता दी है. उनके इस ऐलान से पार्टी नेता तो चौचक्का हैं. ऐसे में अब यह कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के पहले इस जिले का नाम प्रदेश सरकार बदल सकती है.
ऐसे गरमाई नाम बदलने की सियासत
फिलहाल यूपी में जिलों का नाम बदलने को लेकर बीते दो माह से सियासत गरमाई हुई है. इसकी शुरुआत बीते माह हरदोई की जिला पंचायत अध्यक्ष प्रेमावती वर्मा ने की. उन्होने जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में हरदोई का नाम बदलकर प्रह्लाद नगरी करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कराकर उसे शासन को भेजा. इस प्रस्ताव के समर्थन में धार्मिक संगठन श्री कृष्ण जन्म भूमि मुक्ति दल ने खुशी जाहिर की है. इसके बाद भी मध्य प्रदेश ही पूर्व सीएम उमा भारती ने गत 17 अगस्त को शाहजहांपुर जिले का नाम बदलने की मांग कर दी.
उन्होंने कहा कि इस जिले का नाम किसी स्वतंत्रता सेनानी, संत या ऐसे महापुरुष के नाम पर होना चाहिए जिन्होंने समाज और संस्कृति के लिए काम किया हो. और अब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में भरे मंच से यह ऐलान किया कि हमने फैजाबाद का नाम हमने अयोध्या किया और जिस पावन भूमि पर विश्व का सबसे बड़ा कुंभ मेला आयोजित होता है, उसका नाम इलाहाबाद से प्रयागराज कर दिया.
यही नहीं अभी दो दिन पहले ही शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद क्षेत्र का नाम बदलकर परशुरामपुरी किया गया है. तो अब अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ करने में देर नहीं होनी चाहिए. उप मुख्यमंत्री के उस कथन को सुनकर वहां मौजूद लोगों ने उत्साह जताया. लेकिन अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि सूबे की योगी सरकार और उसके मंत्री अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ही ऐसी घोषणाएँ कर रहे हैं, जिसने जनता का कोई लाभ होने वाला नहीं है और ना ही नाम परिवर्तन करने से जिले की टूटी सड़के ठीक होने वाली हैं.
अलीगढ़ का नाम पांच बार बदला जा चुका है
फिलहाल अलीगढ़ जिले का नाम बदलने जाने को लेकर फिर से सूबे की सियासत में हलचल हुई है. बीते कई सालों से अलीगढ़ का नाम बदलने की चर्चा रुक-रुक कर होती रही है. इस साल बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह जादौन ने इस मांग को लेकर लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. जादौन ने बताया कि इस संबंध में 2021 में अलीगढ़ के सभी विधायकों और सांसद ने हरिगढ़ नाम रखने का प्रस्ताव रखा था जो शासन को भेज दिया गया. तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बारे में जल्दी ही निर्णय लेने का आश्वासन दिया था. तब से लेकर अब तक जिले के लोग इस मामले में सीएम योगी के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.
वही दूसरी तरफ अलीगढ़ के भाजपा सांसद आए दिन अपने भाषणों में अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ किए जाने की मांग करते रहते हैं. इस मामले में इतिहासकारों का कहना है कि अलीगढ़ के इतिहास में इस जिले का नाम पांच बार बदला जा चुका है. इस जिले का पहला नाम कॉल था. फिर वह सब्जाबाद हुआ. इसके बाद मोहम्मदगढ़ और इसके बाद इसका नाम सबीतगढ़ रखा गया. फिर वर्ष 1775 में गवर्नर नजफ अली खान के नाम पर जिले का नाम अलीगढ़ रखा गया. तब से यही नाम चला आ रहा है. इतिहासकार इरफान हबीब के अनुसार, अलीगढ़ का नाम कभी भी हरिगढ़ नहीं रहा है.
अलीगढ़ की इतिहास में इस नाम का कोई जिक्र नहीं मिलता है. इसलिए जो लोग अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की मांग कर रहे हैं वे गलत दावा कर रहे हैं. वर्तमान में अलीगढ़ की ख्याति दुनिया भर में ताले (लाक) बनाने को लेकर है. इस उद्योग के चलते ही अलीगढ़ को तालानगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां की बनी यूनिवर्सिटी की ख्याति भी दुनिया भर में फैली हुई है. इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए कई देशों के युवा यहां आते हैं.