UP भाजपा में बढ़ी रार, परंपरा के आधार पर प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफा दे देना चाहिए, बोले पूर्व मंत्री सुनील भराला
By आकाश चौरसिया | Updated: July 18, 2024 12:48 IST2024-07-18T12:21:57+5:302024-07-18T12:48:26+5:30
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी पर पूर्व मंत्री ने तीखा हमले करते हुए कह दिया कि उन्हें परिपाटी के अनुसार अब पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, ये खबर तब सामने आ रही है, जब सूत्र कह रहे हैं कि संगठन और सरकार में विस्तार होना संभव है।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री सुनील भराला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर पार्टी में बढ़ी उठापटक के बीच गर्मी बढ़ा दी है। उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया है कि परंपरा के आधार पर लोकसभा चुनाव 2024 में मिली करारी शिकस्त के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इस बयान को उन्होंने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को जोड़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है।
इसके अलावा उन्होंने पंडिच दीनदयाल की बातों को भी कोड करते हुए कहा कि मेरी समझ से संगठन की जिम्मेदारी भी बड़ी होती है। उन्होंने आगे कहा, "माननीय उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आशय यही रहा होगा कि हार की बड़ी जिम्मेदारी संगठन की ही है। इसलिए माननीय प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र चौधरी को अविलंब हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए।"
#BJP नेता पंडित सुनील भराला ने केशव प्रसाद मौर्य के बयान का मतलब इशारों में समझाने की कोशिश की
— News1India (@News1IndiaTweet) July 17, 2024
"संगठन बड़ा होता है संगठन की वजह से हार हुई"
"इसलिए भूपेंद्र चौधरी का इस्तीफा होना चाहिए"@sunilbharala@kpmaurya1@Bhupendraupbjp@BJP4UP@BJP4India#YogiAdityanath Uttar Pradesh pic.twitter.com/sCmQKKTDjA
सुनील भराला यहीं नहीं रुके उन्होंने यहां तक कह दिया कि भाजपा में ऐसी परिपाटी रही है कि जहां तत्कालीन अध्यक्षों जैसे कलराज मिश्र, विनय कटियार आदि ने इस्तीफे दिए। संगठन का असली कार्यकर्ता वो ही है, जो अपनी गद्दी से पहले अपने संगठन व पार्टी के बारे में सोचता है।
हालांकि, इससे पहले राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी मिले, ऐसे में माना जा रहा था कि राज्य में मुख्यमंत्री का इस्तीफा हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बल्कि आगामी 10 विधानसभा सीटों में होने वाले उपचुनावों को लेकर मंथन हुआ और उन बातों पर भी चर्चा हुई, जिन वजहों से भाजपा की राज्य में बड़ी हार हुई और भाजपा सिर्फ 30 सीटों पर सिमट गई। एनडीए को कुल 36 सीटों पर जीत प्राप्त हुई है।