केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमपीलैड योजना को बहाल करने का फैसला किया

By भाषा | Updated: November 10, 2021 22:09 IST2021-11-10T22:09:10+5:302021-11-10T22:09:10+5:30

Union Cabinet decided to reinstate the MPLAD scheme | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमपीलैड योजना को बहाल करने का फैसला किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमपीलैड योजना को बहाल करने का फैसला किया

नयी दिल्ली, 10 नवंबर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) को बहाल करने की मंजूरी दे दी। एक सांसद को 2021-22 की शेष अवधि के दौरान विकास गतिविधियों के लिए दो करोड़ रुपये और उसके बाद सालाना पांच करोड़ रुपये मिलेंगे।

एमपीलैड योजना को अप्रैल 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और इसका धन भारत के समेकित कोष में चला गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए योजना को बहाल कर दिया गया है। यह योजना 2025-26 तक जारी रहेगी।

ठाकुर ने कहा कि 2021-22 की शेष अवधि के लिए प्रत्यक सांसद को एक किस्त में दो करोड़ रुपये की राशि जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2022-23 से 2025-26 तक प्रत्येक सांसद को पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की दर से 2.5 करोड़ रुपये की राशि दो किस्तों में जारी की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान, मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिया गया था कि दो साल, 2020-21 से 2021-22 तक, एमपीलैड योजना के धन का उपयोग महामारी से निपटने में किया जाएगा। सभी सांसदों ने भी उत्साह के साथ कोविड के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए अपनी सहमति दी थी।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आर्थिक परिदृश्य में सुधार के मद्देनजर, जिस तरह से आर्थिक सुधार हुआ है और हमने विभिन्न क्षेत्रों में भी विकास देखा है, वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए एमपीलैड योजना को बहाल करने का निर्णय लिया गया है।’’

बाद में एक बयान में सरकार ने कहा, ‘‘वित्‍त वर्ष 2021-22 के शेष महीनों के दौरान सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजना को बहाल करने और 15वें वित्त आयोग की अवधि के साथ-साथ वित्‍त वर्ष 2025-26 तक इसे जारी रखने को मंजूरी दे दी है।’’

एमपीलैड को वित्त वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए फिर से शुरू करने और इसे 2025-26 तक जारी रखने पर कुल वित्तीय परिव्यय 17417 करोड़ रुपये होगा।

पिछले साल अप्रैल में सरकार ने एमपीलैड को दो साल 2020-21 और 2021-22 के लिए निलंबित कर दिया था और कहा था कि कुल 7,900 करोड़ रुपये की धनराशि का उपयोग स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार और कोविड-19 महामारी से निपटने में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के लिए किया जाएगा। सरकार ने सांसदों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती की थी।

इस योजना के तहत सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल पांच करोड़ रुपये तक के विकास कार्यक्रमों की सिफारिश कर सकते हैं।

एमपीलैड योजना को स्थगित करने के फैसले पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी और इसे बहाल करने की मांग की थी। कांग्रेस ने कहा था कि यह एक सांसद की भूमिका को कमजोर करेगा और फैसले की समीक्षा की मांग की थी। वाम दलों और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी निर्णय के लिए सरकार की आलोचना की थी। टीएमसी ने इस कदम को ‘मनमाना’ और ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया था, जबकि शिवसेना ने इसे ‘एकतरफा’ फैसला बताया था और कहा था कि बिना किसी से सलाह किए यह निर्णय किया गया। कई सांसदों ने बाद में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एमपीएलैड योजना को बहाल करने की मांग की थी।

सरकार ने एक बयान में कहा है कि एमपीलैड योजना को फिर से शुरू करने और इसके क्रियान्वयन को जारी रखने से क्षेत्र में सामुदायिक विकास परियोजनाओं, कार्यों की फिर से शुरूआत होगी, जो एमपीलैड के तहत धन की कमी के कारण रुक गयी थीं। बयान में कहा गया, ‘‘इससे स्थानीय समुदाय की आकांक्षाओं और विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण की फिर से शुरूआत होगी। यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में भी मदद करेगी।’’

सरकार ने कहा कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय ने 2021 के दौरान देश भर के 216 जिलों में एमपीलैड कार्यों का मूल्यांकन, तीसरे पक्ष के द्वारा करवाया है। मूल्यांकन रिपोर्ट में एमपीलैड को जारी रखने की सिफारिश की गई है। बयान के मुताबिक इस योजना की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 19.86 लाख से ज्यादा कार्य, परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं, जिन पर 54171.09 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत आई है।

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