ब्रिटेन की एक अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की हिरासत अवधि बृहस्पतिवार को जारी रखते हुए उसे 30 जनवरी को पुन: पेश होने को कहा।
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ करीब दो अरब डॉलर की ऋण धोखाधड़ी करने तथा मनी लॉड्रिंग के मामलों में भारत में वांछित है। ब्रिटेन में उसके प्रत्यर्पण को लेकर सुनवाई चल रही है। नीरव मोदी को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में वैंड्सवर्थ कारावास से प्रत्येक 28 दिन पर होने वाली नियमित पेशी के तहत अदालत के समक्ष पेश किया गया।
उसके प्रत्यर्पण संबंधी सुनवाई 11 मई से शुरू होने वाली है और इसके करीब पांच दिन चलने का अनुमान है। डिप्टी चीफ मजिस्ट्रेट टैन इकरम ने नीरव मोदी से पूछा कि क्या उसे किसी अन्य मुद्दे के बारे में कुछ कहना है। नीरव मोदी ने इसके उत्तर में ‘नहीं’ कहा।
उल्लेखनीय है कि नीरव मोदी ने घर में नजरबंदी की गारंटी की पेशकश करते हुए नवंबर में जमानत की नये सिरे से याचिका दायर की थी। हालांकि चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा आर्बथनॉट ने गवाहों को प्रभावित करने तथा मई, 2020 में प्रस्तावित सुनवाई में पेशी से भागने की आशंका के मद्देनजर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। नीरव मोदी को 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। वह तब से वैंड्सवर्थ कारावास में है। भाषा सुमन अजय अजय
उसकी जमानत अर्जी 5 बार खारिज हो चुकी। नीरव ने नवंबर में पेशी के वक्त धमकी दी थी कि भारत प्रत्यर्पण हुआ तो आत्महत्या कर लेगा। उसके वकीलों ने यह दलील भी दी कि उनके क्लाइंट पर जेल में तीन बार हमला हो चुका, वह डिप्रेशन में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आर्थिक भगोड़ों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण के बारे में बाच चल रही है।
नीरव मोदी, विजय माल्या के बाद दूसरा ऐसा कारोबारी है जिसे नए भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। यह अधिनियम पिछले साल अगस्त में प्रभाव में आया था। धनशोधन रोकथाम कानून अदालत के विशेष न्यायाधीश वी सी बरदे ने हीरा कारोबारी और प्रवर्तन निदेशालय के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया।
एफईओ कानून के तहत किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित किया जाता है अगर उसके खिलाफ 100 करोड़ रुपये या अधिक के अपराध के लिए वारंट जारी किया गया हो और उसने देश छोड़ दिया हो तथा वापस नहीं लौट रहा हो। अदालत ने आदेश में कहा कि प्रतीत होता है कि नीरव मोदी को अपने ऋण चुकाने की निर्धारित तिथि पता थी जब उसने देश छोड़ा (एक जनवरी 2018)। इसने कहा, ‘‘मौजूद साक्ष्यों से पता चलता है कि प्रतिवादी ने जिन परिस्थितियों में देश छोड़ा उनसे उसके व्यवहार में संदेह पैदा होता है कि वह कानून के संभावित दंड से बचना चाहता था जो अपराध उसने 2017 तक भारत में किए थे।’’