नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो वयस्कों के आपसी सहमति से एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनने और साथ रहने के अधिकार को ‘‘उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता का एक पहलू’’ बताया है, जो परिवार की अस्वीकृति के दायरे से मुक्त है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने पांच अगस्त को जारी एक आदेश में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने बार-बार इस स्थिति की पुष्टि की है और पुलिस को ऐसे जोड़ों को धमकी या नुकसान से बचाने का निर्देश दिया है।’’ अदालत ने पुलिस को एक युवा जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया, जिन्होंने अपने-अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध विवाह किया था ।
अब उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। आदेश में कहा गया है, ‘‘दो वयस्कों का एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुनने और शांति से साथ रहने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमापूर्ण जीवन का एक पहलू है। परिवार की अस्वीकृति उस स्वायत्तता को कम नहीं कर सकती।’’
दंपति ने साथ रहने के लिए अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते अदालत से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि महिला का परिवार उनके रिश्ते के खिलाफ था और कथित तौर पर बार-बार हमले की धमकी दे रहा था।