बेस्ट बेकरी केस के दो आरोपी बरी, मुंबई की कोर्ट ने सबूतों के अभाव में किया रिहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 13, 2023 02:43 PM2023-06-13T14:43:04+5:302023-06-13T14:50:33+5:30
मुंबई की एक अदालत ने गुजरात के बेस्ट बेकरी केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया है।
मुंबई: गुजरात के बेस्ट बेकरी केस में मुंबई की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया है। जानकारी के अनुसार अदालत ने बेस्ट बेकरी मामले में दो आरोपियों हर्षद रावजी भाई सोलंकी और मफत मणिलाल गोहिल को सबूतों के अभाव में रिहा करने का आदेश दिया है। बेस्ट बेकरी कांड भी गुजरात दंगा 2002 का एक बेहद दर्दनाक हिस्सा था। जिसमें कुल 14 लोगों की बेकरी में जिंदा जलने से मौत हो गई थी।
A Mumbai court acquits two of the accused- Harshad Raoji Bhai Solanki and Mafat Manilal Gohil- in the Best Bakery case pic.twitter.com/cysku5xrpI
— ANI (@ANI) June 13, 2023
मुंबई की सेशन कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वो सबूतों के अभाव में 2 आरोपियों हर्षद रावजी भाई सोलंकी और मफत मणिलाल गोहिल को वडोदरा में 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बेस्ट बेकरी में मारे गये 14 बेकसूर लोगों की हत्या के आरोप से मुक्त करते हैं। हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को इस हत्याकांड में 2013 में गिरफ्तार किया गया था।
खबरों के अनुसार दोनों पर आरोप था कि उन्होंने वडोदरा के हनुमान टेकरी इलाके में स्थित बेकरी पर हमला करने वाली भीड़ के हिस्से थे। इस पूरे प्रकरण में 21 आरोपी थे। जिनमें से ये दोनों प्रमुख थे। केस में सरकारी वकील ने बताया कि बेस्ट बेकरी पर हमला 27 फरवरी 2002 के गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस में हुए अग्निकांड के कारण हुई।
गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 के जलने और उसमें 56 लोगों की जलने से हुई मौत के कारण गुस्साई भीड़ ने बडोदरा के बेस्ट बेकरी में हमला किया और वहां काम करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के 14 लोगों की जलाकर हत्या कर दी गई थी। बेकरी कांड में जलने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे और यह लोमहर्षक घटना 3 मार्च 2002 को हुई थी।
बेकरी पर हमला करने वाले अज्ञात लोगों की भीड़ ने 3 मार्च 2002 को वड़ोदरा में बेस्ट बेकरी के मालिक हबीबुल्ला शेख और उनका परिवार उसी बेस्ट बेकरी के परिसर में रहता था। हबीबुल्ला और उनके रिश्तेदार हिंसक भीड़ के हत्थे चढ़ गये। इस मुकदमे में कुल 21 आरोपी थे लेकिन कोर्ट ने फरवरी 2006 में 17 आरोपियों में से 9 को हत्या के आरोप का दोषी पाया था और शेष 8 को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया।