का नायाब नमूना साबित होने जा रही हैं। इनमें से एक सुरंग इस्तेमाल हो रही है और दूसरी बस कुछ ही हफ्तों के बाद इस्तेमाल की जाएगी जबकि तीसरी के लिए कुछ अरसे का इंतजार करना होगा।
अगले कुछ हफ्तों में काजीगुंड-बनिहाल टनल का इस्तेमाल आरंभ हो जाएगा। करीब साढ़े आठ किमी लंबी श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर बन कर तैयार हो चुकी यह टनल 16 किमी के सफर को कम करेगी। इसकी खास बात यह है कि यह राजमार्ग की पुरानी जवाहर टनल से 400 मीटर नीचे की सतह पर बनाई गई है।
2100 करोड़ रूपयों मं तैयार हुई यह टनल वर्ष 2011 से बननी आरंभ हुई थी जो समुद्रतल से 1790 मी की ऊंचाई पर है। यह इंजीनियरिंग का नायाब नमूना कही जा रही है।इससे पहले चिनैनी-नाशरी टनल को भारत की सबसे लंबी टनल कहा जाता है है। यह 10.89 किमी लंबी है जो नेशनल हाईवे पर वाहनों का 40 किमी का सफर कम कर रही है और प्रतिदिन 27 लाख रूपयों की बचत करवा रही है।
इतना जरूर है कि देश की सबसे लंबी सुरंग का खिताब अब चिनैनी नाशरी टनल से छीन जाएगा क्योंकि अगले पांच वर्षों में जोजिला टनल तैयार हो जाएगी जो 11578 फुट की ऊंचाई पर बनने वाली सवा चौदह किमी लंबी होगी। यह श्रीनगर को करगिल से जोड़ेगी और 3 घंटों के सफर को मात्र 15 मिनटों में ही पूरा करेगी।