जम्मू बॉर्डर से आतंकियों को कश्मीर ले जाने का ट्रक चालकों का सिलसिला पुराना, पसोपेश में बीएसएफ
By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 27, 2022 04:34 PM2022-04-27T16:34:12+5:302022-04-27T16:34:54+5:30
सुंजवां हमले में पुलिस ने अनंतनाग के कोकरनाग इलाके के दो वाहन चालकों बिलाल वागे तथा इश्फाक चौपान को पकड़ा तो कई रहस्योदघाटनों की परतें खुलती गईं।
जम्मू: सुंजवां हमले में मारे गए आतंकियों को जम्मू बॉर्डर से सुंजवां तक पहुंचाने वाले ट्रक चालकों की उस स्वीकारोक्ति के बाद, जिसमें उन्होंने माना है कि वे कई बार जम्मू बॉर्डर से आतंकियों को कश्मीर तक ले जाते रहे हैं, बीएसएफ पसोपेश में है। उसकी परेशानी आतंकियों के उस रूट को फिलहाल तलाश न कर पाने की है जिनका इस्तेमाल कर वे पाकिस्तान से इस ओर आ रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक, सुंजवां में मारे गए दो आतंकियों को ही नहीं बल्कि इस साल जनवरी महीने में भी उसी ट्रक ड्राइवर तथा क्लीनर ने एक-एक लाख की राशि के बदले चार आतंकियों को कश्मीर पहुंचाया था। इन चारों को सांबा से बैठाया गया था। सुंजवां हमले में पुलिस ने अनंतनाग के कोकरनाग इलाके के दो वाहन चालकों बिलाल वागे तथा इश्फाक चौपान को पकड़ा तो कई रहस्योदघाटनों की परतें खुलती गईं।
उनके मुताबिक और भी कई ट्रक ड्राइवर इस कार्य में लिप्त हैं। जो पिछले कुछ सालों से जम्मू सीमा को पार कर इस ओर आने वाले आतंकियों को हथियारों समेत कश्मीर तथा जम्मू के विभिन्न स्थानों तक पहुंचाते रहे हैं। इनमें नगरोटा में सैन्य मुख्यालय, टिकरी में नाके पर और दो बार नगरोटा टोल प्लाजा पर हमला करने वाले आतंकी भी शामिल थे।
19 नवंबर 2020 को हुए हमले के शामिल आतंकियों को कश्मीर ले जा रहे ट्रक चालक ने भी तक यह बयान देकर पुलिस के ही दावों पर शंका पैदा कर दी थी जिसमें उसका कहना था कि उसने इन आतंकियों को सांबा में चीची माता के बाहर से राजमार्ग से बैठाया था और यह पिकअप प्वाइंट हीरानगर से 20 किमी की दूरी पर था।
ताजा रहस्योदघाटनों के बाद जम्मू सीमा की रखवाली करने वाली बीएससफ पर दबाब लगातार बढ़ता जा रहा है कि वह उन लूप होलों की जल्द से जल्द तलाश करे जिनका लाभ आतंकी घुपसपैठ के लिए ले रहे हैं। हालांकि बीएसएफ अधिकारियों के मुताबिक, सुंजवां हमले के तुंरत बाद वे मशीन की मदद से जमीन के नीचे संदिग्ध सुरंगों को तलाश रहे हैं।
उनका दावा था कि आतंकी कहीं से भी तार को काट कर नहीं घुसे हैं क्योंकि कहीं से तार कटी हुई नहीं मिली और न ही थर्मल इमेजों में उनको रिकॉर्ड किया जा सका है। ऐसे में एक ही संभावना जमीन के नीचे की सुंरगों की मदद लिए जाने की है। जानकारी के लिए पिछले तीन सालों में जम्मू सीमा पर ऐसी 13 सुरंगें पकड़ी जा चुकी हैं जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान घुसपैठ के लिए करता रहा है।