'हिंदी विवाद' में कूदे त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब, कहा- इस भाषा का विरोध करने वालों को भारत से प्यार नहीं
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: September 18, 2019 08:11 PM2019-09-18T20:11:39+5:302019-09-18T20:36:15+5:30
अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने देश में मौजू हिंदी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया रखी है। बिप्लब देव ने कहा कि जिन लोगों को हिंदी से प्यार नहीं, उन्हें भारत प्यार नहीं है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने अपने ताजा बयान में दावा किया कि जो लोग हिंदी को 'राष्ट्र भाषा' बनाए जाने को लेकर विरोध कर रहे हैं, वे देश से प्यार नहीं करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका बयान अंग्रेजी के खिलाफ नहीं है और वे हिंदी को थोप नहीं रहे हैं।
बिप्लब देव ने कहा, ''मैं हिंदी का समर्थन कर रहा हूं क्योंकि देश में ज्यादातर लोग हिंदी बोलते हैं।''
बिप्लब देब ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि अग्रेजों ने भारत पर 200 वर्ष राज नहीं किया होता तो देश में आधिकारिक कामों में अंग्रेजी का इस्तेमाल नहीं होता।
आधिकारिक भाषा अधिनियम (1963) के अनुसार, हिंदी और अंग्रेजी केंद्र सरकार और संसद के लिए आधिकारिक भाषा हैं। देश की कुल 22 भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत मान्यता प्राप्त है।
पिछले शनिवार (14 सितंबर) को हिंदी दिवस के मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाषा के तौर पर हिंदी पूरे देश को एकजुट कर सकती है। अमित शाह के बयान के बाद सबसे पहले दक्षिण के राज्यों से विरोध होना शुरू हो गया था। अब तक इस विवाद में डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और फिल्म अभिनेता रजनीकांत समेत कई नेता कूद चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान के समर्थन में त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देव ने आगे कहा, ''औपनिवेशिक शासन के प्रति वफादारी के कारण, अंग्रेजी कई लोगों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई।"
बिप्लब देव ने कहा, ''ऐसा नहीं है कि केवल अंग्रेजी बोलने वाले देश तरक्की करते हैं। अगर जर्मनी, चीन, जापान, रूस और इजरायल जैसे देशों पर यह लागू होता तो उनका विकास नहीं होता।''
बिप्लब देव ने सरकारी अधिकारियों से आग्रह किया कि जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं और केवल हिंदी या क्षेत्रीय बोलियां बोल पाते हैं, उन लोगों की भी मदद करें।