रायपुर, नौ अगस्त छत्तीसगढ़ में जनजातियों की संस्कृति से परिचित कराने के लिए जनजातीय एटलस तैयार किया गया है। जनजातीय एटलस तैयार करने के मामले में छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड के बाद देश का तीसरा राज्य बन गया है। राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को यहां अपने निवास में एक डिजिटल कार्यक्रम में आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार जनजातीय एटलस का विमोचन किया। उन्होंने बताया कि जनजातीय एटलस तैयार करने के मामले में छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड के बाद देश का तीसरा राज्य बन गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस जनजातीय एटलस में राज्य की जनजातियों की संस्कृति, रीति-रिवाज, जनजातीय कला एवं हस्तकला, जनजातीय पर्यटन, राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों के साथ-साथ राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों, आदिवासी उपयोजना क्षेत्रों, जनजातीय आश्रम शालाएं, छात्रावास जैसी आधारभूत शैक्षणिक संस्थाओं, राज्य में प्रशासनिक इकाइयों, समुदायवार जनजातीय जनसंख्या, लिंगानुपात, शैक्षणिक स्थिति और राज्य में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में जानकारी का समावेश किया गया है।
उन्होंने बताया कि एटलस में राज्य की 42 जनजातियों के संबंध में संक्षिप्त विवरण जिलेवार पर्यावास रूप रेखा के माध्यम से किया गया है। उन्होंने बताया कि एटलस में पर्यावास रूप रेखा के साथ-साथ जिलेवार प्रमुखता से निवासरत जनजाति, वनक्षेत्र और विभिन्न परिस्थितिकी जानकारी प्रस्तुत की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि एटलस में जनगणना 2011 में किए गए विशेष पिछड़ी जनजातियों के आधारभूत सर्वेक्षण और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की सूचनाओं को भी शामिल किया गया है।
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