लाइव न्यूज़ :

सर्जरी कराके महिला बनी ट्रांसजेंडर घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता मांग सकती है: बॉम्बे हाई कोर्ट

By भाषा | Updated: March 31, 2023 14:59 IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि लिंग परिवर्तन कराके महिला बनने वाला कोई शख्स भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राहत की मांग कर सकता है।

Open in App

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि लिंग परिवर्तन सर्जरी कराके महिला बनने वाला कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राहत की मांग कर सकता है। उच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत के आदेश को कायम रखते हुए यह व्यवस्था थी।

'महिला शब्द में ट्रांसजेंडर भी शामिल जिन्होंने लिंग परिवर्तन कराया'

निचली अदालत ने एक व्यक्ति को उससे अलग हुई पत्नी को गुजारा-भत्ता देने का निर्देश दिया था। उसकी पत्नी पहले ट्रांसजेंडर थी। न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकल पीठ ने 16 मार्च के आदेश में कहा कि ‘महिला’ शब्द महिलाओं और पुरुषों के जोड़े तक सीमित नहीं है और इसमें वे ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल हैं जिन्होंने अपनी पहचान बदलने के लिए लिंग परिवर्तन कराया है। आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई।

न्यायमूर्ति बोरकर ने घरेलू हिंसा कानून की धारा 2 (एफ) का उल्लेख किया। आदेश के अनुसार इस बात में कोई संदेह नहीं है कि किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को या लिंग परिवर्तन की सर्जरी कराने वाले किसी पुरुष या महिला को अपनी पसंद की लैंगिक पहचान रखने का अधिकार है। इसमें कहा गया, ‘‘घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य ऐसी महिलाओं के अधिकारों को और प्रभावी तरीके से सुरक्षा प्रदान करना है जो परिवार के अंदर किसी तरह की हिंसा की पीड़ित हैं।’’

क्या है पूरा मामला? जानिए

पीठ ने कहा कि इस तरह के कानून की जरूरत पड़ी थी क्योंकि मौजूदा कानून महिला पर पति या परिवार की क्रूरता से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं थे। अदालत ने कहा, ‘‘मेरी राय में, महिला के रूप में पहचान के लिए लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने वाले किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को घरेलू हिंसा कानून के दायरे में पीड़ित मानना होगा।’’

पति से अलग हुई महिला के अनुसार वह 2016 में सर्जरी कराके ट्रांसजेंडर से महिला बनी थी। उसी साल दोनों ने शादी कर ली लेकिन दो साल बाद मतभेद पैदा हो गये जिसके बाद महिला ने मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन कर घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारे-भत्ते की मांग की। पति ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में दावा किया था कि उसकी पत्नी पीड़ित पक्ष की परिभाषा में नहीं आती क्योंकि यह अधिकार केवल महिलाओं को दिया गया है।

टॅग्स :बॉम्बे हाई कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारततो मैं सुसाइड कर लूंगी?, आखिर पत्नी क्यों दे रही बार-बार धमकी, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-क्रूरता के समान, अलग-अलग रह रहे हैं और न ही मेल-मिलाप संभव हुआ...

भारतआज के युग-परवरिश में कुछ गड़बड़, बेटा अपने बुजुर्ग माता-पिता को श्रवण कुमार की तरह तीर्थयात्रा पर ले जाने के बजाय अदालत में घसीट रहा?, बंबई उच्च न्यायालय ने पुत्र को नहीं दी राहत?

भारतजून 2025 से अब तक 6 माह की आयु तक के 65 शिशुओं की कुपोषण से मौत?, मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा- आदिवासी बहुल मेलघाट में स्थिति क्यों भयावह, सरकार कहां हैं?

क्राइम अलर्ट17 वर्षीय लड़की के साथ सहमति से संबंध, बच्चा भी हुआ?, 18 साल होने पर की शादी?, उच्च न्यायालय ने कहा-तब भी पॉक्सो अधिनियम केस चलेगा!

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई