नयी दिल्ली, 27 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राजस्थान के अजमेर में विशेष टाडा अदालत को निर्देश दिया कि एक आरोपी के खिलाफ तीन महीने के अंदर आरोप तय किए जाएं, जिसे 1993 में कई राजधानी एक्सप्रेस और अन्य रेलगाड़ियों में श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के लिए 11 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है।
शीर्ष अदालत ने हमीर उई उद्दीन की जमानत याचिका लंबित रखी और कहा कि उसके खिलाफ आरोप तय होने के बाद इस पर विचार किया जाएगा। उसे 2010 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न ने सीबीआई से कहा कि मामले में आरोप तय करने और सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए गाजियाबाद की जेल में बंद सैयद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को विशेष अदालत में पेश करने की व्यवस्था की जाए।
शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख दस दिसंबर तय की।
हमीर उई उद्दीनद की तरफ से पेश हुए वकील शोएब आलम ने कहा कि वर्तमान मामले के तथ्य निराश करने वाले हैं और इस चरण में याचिकाकर्ता निर्दोष है क्योंकि सुनवाई हुई ही नहीं है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पांच-छह दिसंबर 1993 को मुंबई से नयी दिल्ली, नयी दिल्ली से हावड़ा और हावड़ा से नयी दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस तथा सूरत-बड़ौदा फ्लाइंग क्वीन एक्सप्रेस एवं हैदराबाद-नयी दिल्ली एपी एक्सप्रेस में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए थे।
विस्फोट में दो यात्रियों की जान चली गई और 22 लोग घायल हुए थे।
कोटा, वलसाड, कानपुर, इलाहाबाद और मलकाज गिरी में अलग-अलग मामले दर्ज हुए थे।
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