तोमर ने किसानों को लिखा पत्र, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे ‘भ्रम’ से बचने की सलाह दी

By भाषा | Updated: December 17, 2020 23:11 IST2020-12-17T23:11:09+5:302020-12-17T23:11:09+5:30

Tomar wrote a letter to farmers, advising them to avoid 'confusion' being spread against three agricultural laws | तोमर ने किसानों को लिखा पत्र, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे ‘भ्रम’ से बचने की सलाह दी

तोमर ने किसानों को लिखा पत्र, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे ‘भ्रम’ से बचने की सलाह दी

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए बृहस्पतिवार को आंदोलनरत किसानों से इस ‘‘सफेद झूठ’’ से बचने की सलाह दी और उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सभी चिंताओं को दूर करने को तैयार है।

उन्होंने वामपंथी दलों पर हमला करते हुए कहा कि वे आज भी 1962 की भाषा बोल रहे हैं जो उन्होंने चीन के खिलाफ लड़ाई के दौरान उस वक्त इस्तेमाल की थी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जारी रहने और मंडी व्यवस्था को मजबूत करने का आश्वासन देते हुए तोमर ने किसानों से आग्रह किया कि वे ‘‘राजनीतिक स्वार्थ’’ के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम से बचें।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और किसानों के बीच ‘‘झूठ की दीवार’’ खड़ी करने की साजिश रची जा रही है।

किसानों के नाम लिखे एक पत्र में तोमर ने दावा किया कि तीन कृषि सुधार कानून भारतीय कृषि में नए अध्याय की नींव बनेंगे, किसानों को और स्वतंत्र तथा सशक्त करेंगे।

उन्होंने पत्र की प्रति ट्विटर पर भी साझा की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तोमर द्वारा किसानों के नाम लिखे गए पत्र को उनके ‘‘विनम्र संवाद का प्रयास’’ बताया और किसानों से उसे पढ़ने का आग्रह किया।

मोदी ने उनके ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें। देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।’’

कृषि कानूनों को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार देते हुए तोमर ने कहा कि इन सुधारों को लेकर उनकी अनेक राज्यों के किसान संगठनों से बातचीत हुई है और कई किसान संगठनों ने इनका स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि वे इससे बहुत खुश हैं और किसानों में एक नई उम्मीद जगी है।

तोमर ने कहा, ‘‘देश के अलग-अलग क्षेत्रों से ऐसे किसानों के उदाहरण भी लगातार मिल रहे हैं, जिन्होंने नए कानूनों का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि इन कृषि सुधार कानूनों का दूसरा पक्ष ये है कि किसान संगठनों में एक भ्रम पैदा कर दिया गया है।

तोमर ने कहा, ‘‘देश का कृषि मंत्री होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करूं। मेरा दायित्व है कि सरकार और किसानों के बीच दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है, उसकी सच्चाई और सही वस्तुस्थिति आपके सामने रखूं।’’

वामपंथी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पर्दे के पीछे छिपकर किसान को गुमराह करने वाले इन लोगों की विचारधारा 1962 की लड़ाई में भी देश के साथ नहीं थी और आज ये लोग फिर सन 1962 की ही भाषा बोल रहे हैं।’’

तोमर ने कहा कि नए कानून लागू होने के बाद इस बार खरीद के लिए पिछले रिकॉर्ड टूट गए हैं। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के नए रिकॉर्ड बनाए हैं और वह खरीद केंद्रों की संख्या भी बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कुछ लोग किसानों से झूठ बोल रहे हैं कि एमएसपी बंद कर दी जाएगी। किसानों से आग्रह है कि राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित कुछ लोगों द्वारा फैलाए जा रहे इस सफेद झूठ को पहचानें और इसे सिरे से खारिज करें।’’

तोमर ने कहा कि जो सरकार किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दे रही है और जिसने पिछले छह साल में एमएसपी के जरिए लगभग दोगुनी राशि किसानों के खाते में पहुंचाई, वह सरकार एमएसपी कभी बंद नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एमएसपी जारी है और जारी रहेगी। मंडिया चालू हैं और चालू रहेंगी। एपीएमसी को और अधिक मजबूत किया जा रहा है। कृषि उपज मंडियां पहले की तरह काम करती रहेंगी। बीते 5 वर्षों में कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। उन्हें आने वाले समय में और आधुनिक बनाया जाएगा।’’

मंत्री ने कहा कि जिन लोगों की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है, वे लोग पूरी तरह से यह ‘‘काल्पनिक झूठ’’ फैला रहे हैं कि किसानों की जमीन छीन ली जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘कानून में साफ उल्लेख है कि जमीन पर किसान का ही मालिकाना हक रहेगा। सरकार नीयत और नीति दोनों से किसानों के लिए प्रतिबद्ध है।’’

तोमर ने कहा, ‘‘इस पत्र के माध्यम से आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि ऐसे किसी भी बहकावे में आए बिना तथ्यों के आधार पर चिंतन मनन करें। आपकी हर शंका आशंका को दूर करना, उसका उत्तर देना हमारी सरकार का दायित्व है। हम अपने इस दायित्व से ना कभी पीछे हटे हैं, ना कभी पीछे हटेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप विश्वास रखिए, किसानों के हित में किए गए सुधार भारतीय कृषि में नए अध्याय की नींव बनेंगे, देश के किसानों को और स्वतंत्र करेंगे, सशक्त करेंगे। इन्हीं सुधारों की उर्जा से हम मिलकर भारत की कृषि को समृद्ध और संपन्न बनाएंगे।’’

उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी के बारे में लिखित आश्वासन देने को तैयार है तथा एपीएमसी के बाहर निजी बाजार पर राज्यों को कर लगाने की अनुमति दी जा सकती है।

तोमर ने किसानों को आश्वस्त किया कि किसी भी प्रकार के विवाद के समाधान के लिए किसान के पास अदालत में जाने का विकल्प भी होगा और राज्यों को कृषि समझौते पंजीकृत करने का अधिकार होगा।

उन्होंने कहा कि कोई भी किसान की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता क्योंकि यह यह कानून किसान की भूमि के किसी भी तरह के हस्तांतरण, बिक्री, लीज और गिरवी की अनुमति नहीं देता है।

दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 20 दिनों से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये कृषि कानून हैं--किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून।

किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इन कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो दिल्ली और नोएडा की सीमा चिल्ला बॉर्डर को वे पूरी तरह से अवरुद्ध कर देंगे।

केन्द्र सरकार जहां तीनों कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

इस बीच, सरकार ने इन कानूनों के लागू होने के बाद अनुबंध खेती से लाभान्वित हुए किसानों की सफलता की कहानी बयां करने वाली एक ई-पुस्तिका भी जारी की।

‘अन्नदाताओं के हितों को समर्पित मोदी सरकार’ शीर्षक वाली 100 पृष्ठों की इस ई-पुस्तिका में सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन कानूनों से ‘‘क्या नहीं होगा’’ और ‘‘किसानों के लिए क्या बेहतर होगा।’’

सरकार की ओर से इस पुस्तिका के जरिए यह भी स्पष्ट किया गया है कि पिछले छह वर्षों में केंद्र में (नरेन्द्र) मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से सुधार किए हैं और इसके प्रत्येक चरण में किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया।

सरकार ने कहा कि सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानून ‘‘दो दशकों तक किए गए विचार-विमर्श’’ के बाद लाए गए हैं।

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Web Title: Tomar wrote a letter to farmers, advising them to avoid 'confusion' being spread against three agricultural laws

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