तिब्बत के बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने एक बार फिर दावा किया है कि वे 113 साल से अधिक जीवित रहेंगे। उन्होंने एक बौद्ध त्योहार 'गाडेन न्गामचो' के मौके पर जारी एक वीडियो संदेश में उन्होंने ये बात कही।
दलाई लामा ने जारी वीडियो मैसेज में कहा है, 'यह अटूट आस्था, विश्वास और भक्ति ही वह वजह है कि तिब्बत के अंदर लाखों तिब्बतियों ने मुझ में भरोसा जताया किया है कि मैं ईमानदारी से आशा और प्रार्थना करता हूं और जब तक मैं जी सकता हूं, जिऊंगा।'
दलाई लामा ने तिब्बत और दुनिया भर के अपने अनुयायियों को ये आश्वासन दिया कि उन्हें यह निश्चित तौर पर लगता है कि वह एक लंबा जीवन जिएंगे।
उन्होंने आगे कहा, 'पिछले दशकों में, मैं तिब्बती संस्कृति और बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे पाया हूं और इसे आगे जारी रखने के लिए और 60 लाख तिब्बती लोगों के लिए मेरी लंबे समय तक जीवित रहना मेरी इच्छा है।'
नोबेले पुरस्कार से सम्मानित 85 साल के दलाई लामा लंबे समय से भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोगों में जिस कदर उन्हें लेकर भरोसा है, उससे उन्हें लगता है कि उनकी बातें भविष्य में सच साबित होंगी। तिब्बत में चीन के बढ़ते दखल के बीच दलाई लामा ने 31 मार्च 1959 को भारत में कदम रखा था। वे 17 मार्च को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल ही निकले थे और फिर हिमालय के पहाड़ों को पार करते हुए 15 दिनों बाद भारतीय सीमा में दाखिल हुए।
दलाई लामा पहले भी लंबा जीवन जीने की बात कह चुके हैं
दलाई लामा ने पिछले साल भी दिसंबर में एक लंबा जीवन जीने के अपने सपने के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, 'जिस तरह मैं परोपकारी इरादे रखता हूं, मैंने लंबा जीवन जीने का सपने देखा है। एक सपने में खुद को 13 सीढ़ियों पर चढ़ता देख रहा था, जिसे मैंने ये मतलब निकाला कि मैं 113 साल की उम्र तक रह सकता हूं।'
उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में तिब्बती जनता के लिए कई बार ऐसी बातों को दोहराया है और अटकलों को भी खारिज करते हुए बार-बार अपने अनुयायियों से उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता नहीं करने को कहा है।