'भारत अब 1962 वाला नहीं है...अब इसे धमकाया नहीं जा सकता', बोले तिब्बती नेता पेनपा सेरिंग, चीन के आक्रामक रूख को बताया 'असुरक्षा की भावना'

By भाषा | Published: December 18, 2022 08:08 AM2022-12-18T08:08:54+5:302022-12-18T08:19:10+5:30

भारत-चीन विवाद पर बोलते हुए तिब्बती नेता पेनपा सेरिंग ने कहा है कि चीन का भारत के लिए आक्रामक रुख एक ‘‘सोची समझी रणनीति’’ का परिणाम है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के कदमों से किसी को फायदा नहीं होने वाला और चीनी सरकार को भारत सरकार तथा भारत के लोगों का विश्वास हासिल करने में कई साल लग जाएंगे।

Tibetan leader Penpa Tsering says India no longer 1962 it can't be bullied anymore calls China aggressive stance sense of insecurity | 'भारत अब 1962 वाला नहीं है...अब इसे धमकाया नहीं जा सकता', बोले तिब्बती नेता पेनपा सेरिंग, चीन के आक्रामक रूख को बताया 'असुरक्षा की भावना'

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsभारत-चीन विवाद को लेकर तिब्बती नेता पेनपा सेरिंग ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख के पीछे उसकी असुरक्षा की भावना दर्शाती है। पेनपा सेरिंग के मुताबिक, भारत अब 1962 वाला नहीं है, इसे अब धमकाया नहीं जा सकता है।

जम्मू: तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने शनिवार को कहा कि भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रुख उसकी ‘‘असुरक्षा की भावना’’ का परिणाम है और इसका मकसद एशिया में अपना दबदबा कायम करना है। 

तिब्बती नेता जम्मू विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन विभाग के सहयोग से आयोजित भारत तिब्बत संघ की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक-सह-संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। 

भारत को रोकना चाहता है चीन ताकि एशियाई क्षेत्र में उसके प्रभुत्व को चुनौती न दे पाए कोई- तिब्बत नेता

सेरिंग ने संगोष्ठी से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख से उसकी असुरक्षा की भावना जाहिर होती है...चीन का उद्देश्य भारत को रोकना है ताकि एशियाई क्षेत्र में उसके प्रभुत्व को चुनौती देने वाला कोई न हो।’’ 

भारत को केवल परेशान करने के लिए सभी घटनाएं कर रहा चीन- पेनपा सेरिंग 

वह 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी और नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़पों को लेकर सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘वे भारत के खिलाफ अकारण आक्रामक रुख रखे हुए हैं जबकि तथ्य है कि इन जगहों पर लोग नहीं रहते हैं। वे भारत सरकार को परेशान करने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं।’’ 

चीन का आक्रामक रुख एक ‘‘सोची समझी रणनीति’’ का परिणाम-तिब्बत नेता

चीन के आक्रामक रुख को ‘‘सोची समझी रणनीति’’ का परिणाम बताते हुए तिब्बती नेता ने कहा कि इस तरह के कदमों से किसी को फायदा नहीं होने वाला और चीनी सरकार को भारत सरकार तथा भारत के लोगों का विश्वास हासिल करने में कई साल लगेंगे। सेरिंग ने कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने हमेशा भारत और चीन के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों का समर्थन किया है। 

तिब्बत नेता बोले- भारत अब 1962 वाला नहीं है, काफी विकास किया-अब नहीं धमकाया जा सकता

साथ ही उन्होंने कहा चीन अपने आक्रामक कृत्यों से 1962 के चीन-भारत युद्ध के घावों को कुरेद रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर चीन यह सोचता है कि भारत 1962 की तरह कमजोर है, तो वह गलत है। भारत ने दशकों में काफी विकास किया है और उसे धमकाया नहीं जा सकता है।’’ 

चीन विवाद पर कांग्रेस नेताओं की आलोचना पर क्या बोले तिब्बत नेता

चीन की घुसपैठ से निपटने के लिए कांग्रेस द्वारा भारत सरकार की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं के अलग-अलग विचार हो सकते हैं और विपक्ष का काम विरोध करना है। लोकतंत्र में रचनात्मक आलोचना का हमेशा स्वागत है।’’ 

सेरिंग ने कहा, ‘‘लेकिन मेरा मानना है कि भारतीय नेतृत्व ने बहुत मजबूत रुख अपनाया है कि जब तक उन सभी क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी नहीं होती है जहां चीनियों ने घुसपैठ की है, तब तक संबंध सामान्य नहीं होगा।’’ 

Web Title: Tibetan leader Penpa Tsering says India no longer 1962 it can't be bullied anymore calls China aggressive stance sense of insecurity

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