"जिन्हें असम के इतिहास की जानकारी नहीं है, उन्हें नहीं बोलना चाहिए", हिमंत बिस्वा सरमा ने कपिल सिब्बल की 'म्यांमार' टिप्पणी पर किया पलटवार
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 9, 2023 11:32 AM2023-12-09T11:32:18+5:302023-12-09T11:40:19+5:30
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान असम को म्यांमार का हिस्सा कहने पर वकील कपिल सिब्बल पर पलटवार किया है।
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान असम को म्यांमार का हिस्सा कहने पर वकील कपिल सिब्बल पर पलटवार किया है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कथित तौर पर बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान असम को म्यांमार का हिस्सा बताया था।
समाचार वेबसाइट एनडीटीवी के मुताबिक असम के मुख्यमंत्री सरमा ने वकील सिब्बल द्वारा असम-म्यांमार के विषय में की गई टिप्पणी पर कहा, "जिन्हें असम के इतिहास के बारे में कोई जानकारी नहीं है, उन्हें बोलना नहीं चाहिए। असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था। थोड़े समय के लिए झड़पें हुई थीं। यही एकमात्र संबंध था। अन्यथा, मैंने कभी ऐसा कोई डेटा नहीं देखा, जिसमें कहा गया हो कि असम म्यांमार का हिस्सा था।"
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल के बीच चला यह वाकयुद्ध मणिपुर संकट के बीच आया है, जहां म्यांमार से अवैध अप्रवासियों का मुद् हिंसा का बड़ा कारण बना है।
मालूम हो कि गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई नेताओं ने कहा है कि पूर्वोत्तर राज्य में अशांति के पीछे अवैध अप्रवासियों का प्रवेश भी मुख्य कारकों में से एक है।
कपिल सिब्बल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान कहा था कि किसी भी प्रवासन को कभी भी मैप नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा था, "यदि आप असम के इतिहास को देखें तो आपको एहसास होगा कि यह पता लगाना असंभव है कि कौन कब आया था। असम मूल रूप से म्यांमार का हिस्सा था और यह 1824 में अंग्रेजों द्वारा इस क्षेत्र के एक हिस्से पर विजय प्राप्त करने के बाद हुआ था। एक संधि की गई जिसके द्वारा असम को अंग्रेजों को सौंप दिया गया।”
सिब्बल ने आगे कहा, "आप कल्पना कर सकते हैं कि तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के संदर्भ में लोगों के किस तरह के आंदोलन हुए होंगे और यदि आप 1905 में जाते हैं तो आपके पास बंगाल का विभाजन है। हाड़ी-बहुसंख्यक कुकी के घाटी में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष हुआ।"
उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ, उसके बाद संवेदनशील सार्वजनिक चर्चा में म्यांमार का कोई भी उल्लेख बेहद भावनात्मक हो गया है। कुकी जनजातियां, जो म्यांमार के चिन राज्य और मिज़ोरम की जनजातियों के साथ रिश्तेदारी का रिश्ता साझा करती हैं। मणिपुर से अलग एक अलग प्रशासन चाहती हैं। पड़ोसी राज्य मिजोरम भी मणिपुर में कुकियों की मांगों का समर्थन कर रहा है।
मिजोरम के नए मुख्यमंत्री लालडुहोमा ने बुधवार को कहा कि वह म्यांमार और बांग्लादेश के शरणार्थियों और मिजोरम में शरण लेने वाले मणिपुर के विस्थापित कुकी जनजातियों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जल्द ही दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलेंगे।
मालूम हो कि मिजोरम ने जुंटा शासित म्यांमार से 35,000 से अधिक शरणार्थियों को शरण दी है। जहां सैन्य बल जातीय विद्रोही समूहों और लोकतंत्र समर्थक विद्रोहियों से लड़ रहे हैं।