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वैक्सीन से नहीं है नपुंसकता का डर, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये टीके की दोनों खुराकें लेना महत्वपूर्ण

By अनुराग आनंद | Published: January 06, 2021 7:16 AM

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि मापदंड परिभाषित करने की जरूरत है और इस बात का मूल्यांकन किया जाना है कि क्या वह अन्य बीमारी व्यक्ति के कोविड-19 संक्रमित जाने पर मौत का खतरा बढ़ा सकती है। इसी के आधार पर आगे फैसला लिया जाना है।

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ठळक मुद्देवरिष्ठ विशेषज्ञ रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि भारत में पेश किए गए टीके दूसरे देशों में विकसित टीकों की तरह ही कारगर साबित होंगे। ऐसी उम्मीद है कि जुलाई तक प्राथमिकता वाले 30 करोड़ लोगों को शामिल करने के पर्याप्त टीके होंगे।

नयी दिल्ली: आईसीएमआर के पूर्व चीफ डॉ आर गंगाखेडकर ने कहा कि लोगों को ये समझना चाहिए कि इन वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए एक सिस्टम बना है, इस पर पूरी तरह से विचार करने के बाद ही मंजूरी दी गई है।

 उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन को लेने से मना करने वालों को सोचना चाहिए कि इसका नुकसान सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उनके परिवार को भी उठाना पड़ सकता है। उनके रिश्तेदार और दोस्त भी मुश्किल में पड़ सकते हैं। साथ ही उन्होंने वैक्सीन में पोर्क के अंश होने व वैक्सीन लेने से नपुंसकता होने की बात को खारिज किया है।

किसी व्यक्ति के लिये टीके की दोनों खुराकें लेना महत्वपूर्ण है

 

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोविड-19 से सुरक्षा हासिल करने के वास्ते किसी व्यक्ति के लिये टीके की दोनों खुराकें लेना महत्वपूर्ण है ताकि इस महामारी से बचाव के लिये बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा सके।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर दूसरी खुराक प्राप्त करने के दो सप्ताह बाद शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती है। श्वास संबंधी रोगों के वरिष्ठ विशेषज्ञ रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि भारत में पेश किए गए टीके दूसरे देशों में विकसित टीकों की तरह ही कारगर साबित होंगे।

कुछ दिन में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने की उम्मीद-

भारत में कुछ दिन में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने की उम्मीद है। इस बीच गुलेरिया ने स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई वीडियों में ये बातें कहीं। इस वीडियो में उन्होंने टीकाकरण अभियान से संबंधित कुछ सवालों के जवाब दिये हैं।  

कोविड-19 के टीकाकरण के दौरान किन अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी और उन्हें क्या- क्या कागजात सौंपने होंगे-- इसके निर्धारण करने का जिम्मा संभालने वाली एक विशेषज्ञ समिति द्वारा एक या दो दिनों में अपनी रिपोर्ट दिये जाने की संभावना है। सरकार ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

प्राथमिकता सूची के मापदंड को परिभाषित करने की जरूरत है

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि मापदंड परिभाषित करने की जरूरत है और इस बात का मूल्यांकन किया जाना है कि क्या वह अन्य बीमारी व्यक्ति के कोविड-19 संक्रमित जाने पर मौत का खतरा बढ़ा सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह मुख्य बिंदु है। मापदंड तय करने के लिए एक समिति गठित की गयी है जो इस बात को लेकर अपनी सिफारिश देगी कि किन आधार पर ऐसे लोगों की बीमारी की गंभीरता के हिसाब से पहचान की जा सकती है। समिति अन्य बातों एवं चीजों को लागू करने के बारे में भी सुझाएगी।’’

जुलाई तक प्राथमिकता वाले 30 करोड़ लोगों को शामिल करने के पर्याप्त टीके होंगे

पॉल ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि जुलाई तक प्राथमिकता वाले 30 करोड़ लोगों को शामिल करने के पर्याप्त टीके होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 टीका संचालन दिशानिर्देश के अनुसार कोविड-19 का टीका पहले स्वास्थ्यकर्मियों एवं अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को, फिर 50 से अधिक उम्र के लोगों एवं उसके बाद अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को लगाया जाएगा।

(एजेंसी इनपुट)

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