अमरावती के सांसद का जाति प्रमाण-पत्र निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक लगाई

By भाषा | Updated: June 22, 2021 17:38 IST2021-06-22T17:38:42+5:302021-06-22T17:38:42+5:30

The top court stayed the order of the High Court to cancel the caste certificate of Amravati MP | अमरावती के सांसद का जाति प्रमाण-पत्र निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक लगाई

अमरावती के सांसद का जाति प्रमाण-पत्र निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक लगाई

नयी दिल्ली, 22 जून उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा सदस्य नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाणपत्र निरस्त करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले पर मंगलवार को रोक लगा दी। राणा महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित अमरावती लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद हैं।

बंबई उच्च न्यायालय ने नौ जून को राणा का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया था और कहा था कि यह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी कर हासिल किया गया। इसने सांसद पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने राणा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के अभिवेदन पर संज्ञान लिया और महाराष्ट्र सरकार, जिला जाति संवीक्षा समिति तथा सांसद के जाति प्रमाणपत्र के खिलाफ शिकायत करनेवाले आनंदराव विठोबा अडसुल सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी कीजिए। हम इसपर 27 जुलाई को सुनवाई करेंगे। इस बीच, हमने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। ऐसा लगता है कि सुनवाई की अगली तारीख को मामले का निपटारा हो जाएगा।’’

न्यायालय ने अडसुल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील को सुना कि उन्हें सुने बिना फैसले पर रोक न लगाई जाए। सिब्बल ने कहा, ‘‘मेरे पास कहने के लिए काफी कुछ है।’’

उन्होंने यह साबित करने के लिए विभिन्न दस्तावेजों का संदर्भ दिया कि उच्च न्यायालय ने राणा का जाति प्रमाणपत्र रद्द कर सही किया है। इसपर रोहतगी ने कहा, ‘‘मेरे पास भी ऐसा ही है।’’

उन्होंने तथ्य का संदर्भ देते हुए कहा कि चुनाव याचिका दायर किए बिना उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की जा रही है। राकांपा समर्थित राणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2019 में अमरावती लोकसभा सीट से चुनाव जीता था और उन्होंने खुद को ‘मोची’ अनुसूचित जाति का सदस्य बताया था।

सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि ‘मोची’ और ‘चमार’ शब्द पर्यायवाची हैं।

उन्होंने कहा कि संवीक्षा समिति ने उनकी मुवक्किल के जाति प्रमाणपत्र पर अपने समक्ष पेश किए गए मूल रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय दिया था और ऐसी धारणा है कि 30 साल से अधिक पुराने दस्तावेज ठीक हैं।

रोहतगी ने कहा कि दस्तावेजों की वास्तविकता को चुनौती नहीं दी गई है। राणा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘हालांकि, उच्च न्यायालय ने संवीक्षा समिति के निर्णय को अनुच्छेद 226 (रिट याचिका) के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पलट दिया।’’

उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने राणा का जाति प्रमाणपत्र निरस्त करते हुए उनसे इसे छह सप्ताह के भीतर सौंपने और दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र विधिक सेवा प्राधिकरण में दो लाख रुपये का जुर्माना जमा करने को कहा था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The top court stayed the order of the High Court to cancel the caste certificate of Amravati MP

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे