राज्य को अपनी मर्जी से रेवड़ियां बांटने की ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ त्यागनी चाहिए: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 1, 2020 22:03 IST2020-12-01T22:03:30+5:302020-12-01T22:03:30+5:30

The state should renounce the 'colonial mentality' of distributing girders on its own: court | राज्य को अपनी मर्जी से रेवड़ियां बांटने की ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ त्यागनी चाहिए: न्यायालय

राज्य को अपनी मर्जी से रेवड़ियां बांटने की ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ त्यागनी चाहिए: न्यायालय

नयी दिल्ली, एक दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक औद्योगिक इकाई को नीतिगत लाभ के तहत कानूनी पात्रता से वंचित करने के मामले में झारखंड सरकार को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि राज्य को शासक होने के नाते अपनी ‘मर्जी से रेवड़ियां’ देने की ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ को त्यागना चाहिए और वह ‘निष्पक्ष’ और ‘पारदर्शी’ तरीके से काम करने के लिये बाध्य है।

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की पीठ ने कहा, ‘‘राज्य की जवाबदेही और नीतिगत दस्तावेज के अनुसार अपनाई गयी जिम्मेदारी दोनों ही इस तरह की राज्य सत्ता के गुमान के खिलाफ है।’’

पीठ ने कहा, राज्य को इस औपनिवेशिक गुमान को त्यागना चाहिए कि वह अपनी मर्जी से रेवड़ियां बांटने वाला शासक है। उसकी नीतियां इस अपेक्षा को बढ़ावा देती हैं कि राज्य सरकार सार्वजनिक दायरे में रखी गयी नीतियों के अनुसार काम करेगी। अपनी सभी कार्रवाईयों में राज्य निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करने के लिये बाध्य है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 में मनमर्जी से कार्रवाई करने के विरूद्ध प्रदत्त बुनियादी गारंटी है।’’

यह विवाद झारखंड की 2012 की औद्योगिक नीति के एक उपबंध से संबंधित है जिसके अंर्तगत एक कंपनी को अपने उपभोग के लिये स्थापित विद्युत संयंत्र से पांच साल के लिये विद्युत शुल्क के 50 प्रतिशत के भुगतान से छूट मिलेगी।

राज्य सरकार ने ब्रह्मपुत्र मेटालिक्स लि को 50 प्रतिशत की विद्युत शुल्क छूट का लाभ देने के उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

शीर्ष अदालत राज्य सरकार की दलीलों से सहमत नही हुयी और उसने कहा कि राज्य की औद्योगिक नीति के तहत ब्रह्मपुत्र मेटालिक्स लि विद्युत शुल्क में छूट की हकदार है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश में यह संशोधन कर दिया कि कंपनी वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिये इस छूट की हकदार नहीं है क्योंकि औद्योगिक नीति में प्रावधान है कि उत्पादन शुरू होने के बाद के वित्तीय वर्ष से यह लाभ मिलेगा।

पीठ ने इस कंपनी को वित्तीय वर्ष 2012-13 और 2013-14 के लिये विद्युत शुल्क से छूट देने के उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि की।

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