‘खामोश रहने का अधिकार वर्तमान दौर में सबसे उपयुक्त है’ : फेसबुक उपाध्यक्ष ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Published: February 24, 2021 10:21 PM2021-02-24T22:21:51+5:302021-02-24T22:21:51+5:30

'The right to remain silent is the most appropriate in the present era': Facebook vice-president told the court | ‘खामोश रहने का अधिकार वर्तमान दौर में सबसे उपयुक्त है’ : फेसबुक उपाध्यक्ष ने न्यायालय से कहा

‘खामोश रहने का अधिकार वर्तमान दौर में सबसे उपयुक्त है’ : फेसबुक उपाध्यक्ष ने न्यायालय से कहा

नयी दिल्ली, 24 फरवरी फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने यह दलील देते हुए कि दिल्ली विधानसभा को शांति एवं सद्भाव के मुद्दे की जांच पड़ाल करने के लिए एक समिति गठित करने की कोई विधायी शक्ति नहीं है, बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि ‘‘खामोश रहने का अधिकार वर्तमान दौर में सबसे उपयुक्त है।’’

न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने शांति और सद्भाव समिति द्वारा मोहन को उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगा मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के लिए समन जारी किये जाने को चुनौती देने वली मोहन की अर्जी पर फेसबुक अधिकारी, दिल्ली विधानसभा और केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों द्वारा दलीलें पूरी किये जाने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

फेसबुक अधिकारी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि शांति समिति का गठन दिल्ली विधानसभा का मुख्य कार्य नहीं है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में कानून और व्यवस्था का मुद्दा केंद्र के अधीन आता है।

वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘दो व्यापक चीजें हैं, एक पेश होने के लिए बाध्य करने का अधिकार और इसका अधिकार कि आप ऐसा करने के लिए सक्षम हैं या नहीं। मैं कहना चाहूंगा कि वे (दिल्ली विधानसभा) दोनों पर गलत हैं।’’

मामले की सुनवायी वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई। इस दौरान साल्वे ने कहा, ‘‘पिछले दरवाजे के माध्यम से शक्ति के विस्तार" की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और ‘‘खामोश रहने का अधिकार वर्तमान दौर में सबसे उपयुक्त है। यह तय करना मुझ पर छोड़ दें कि मैं जाना चाहता हूं या नहीं..।’’

इससे पहले, विधानसभा की समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने कहा था कि विधानसभा को समन करने की शक्ति है।

हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह कहते हुए विधानसभा समिति की दलील का विरोध किया था कि कानून और व्यवस्था दिल्ली पुलिस के अधिकारक्षेत्र में आता है जो केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह है।

इससे पहले दिसंबर में, शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक के उपाध्यक्ष और एमडी द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप करने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

पिछले साल 15 अक्टूबर को केंद्र ने पीठ को बताया था कि शांति और सद्भाव समिति की कार्यवाही ‘‘अधिकार क्षेत्र के बिना’’ है क्योंकि मुद्दा कानून और व्यवस्था से जुड़ा है।

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