लाइव न्यूज़ :

न्यायालय ने सरकार के विकास कार्यो में अवरोघ पैदा करने की याचिकाओं पर निराशा व्यक्त की

By भाषा | Updated: January 5, 2021 22:25 IST

Open in App

नयी दिल्ली, पांच जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ‘उत्साह में याचिकायें’ दायर करने पर निराशा व्यक्त करते हुये कहा कि यद्यपि अदालतें ‘जनता के अक्षुण्ण विश्वास की रक्षक’ हैं लेकिन उनसे ‘शासन’ करने और राज्य के विकास के कार्यो में बाधक बनने की अपेक्षा नहीं की जा सकती।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत से केन्द्र की महत्वाकांक्षी सेन्ट्रल विस्टा परियोजना को हरी झंडी देते हुये ये टिप्पणियां कीं।

पीठ ने कहा कि हाल के समय में विशुद्ध रूप से नीतियों से संबंधित मामलों की विवेचना और व्यवस्था के खिलाफ आम शिकायतों का निबटारा करने के लिये जनहित याचिकायें दायर करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘निस्संदेह, अदालतें जनता के अक्षुण्ण विश्वास की रक्षक हैं और यह भी हकीकत है कि जनहित की कुछ कार्रवाई के सराहनीय नतीजे भी सामने आये हैं लेकिन साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि अदालतें संविधान में परिभाषित सीमाओं के भीतर ही काम करती हैं। हमें शासन करने के लिये नहीं कहा जा सकता।’’

न्यायमूर्ति खानविलकर ने अपने फैसले में कहा कि अदालत की भूमिका सरकार के नीतिगत निर्णयों और कार्रवाई की संवैधानिकता की पड़ताल करने तक सीमित होती है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘विकास का अधिकार एक बुनियादी मानव अधिकार है और राज्य के किसी भी अंग को विकास की प्रक्रिया में उस समय तक बाधक नहीं बनना चाहिए जब तक सरकार कानून के अनुसार काम कर रही हो।’’

बहुमत के फैसले में न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या किसी कानूनी प्रावधान के बगैर वह सरकार को किसी परियोजना पर धन खर्च करने की बजाय, उसका इस्तेमाल दूसरी जगह करने का निर्देश दे सकता है।

पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘हम समान रूप से विस्मित हैं कि क्या हमें प्रारंभिक चरण में ही अपूरणीय क्षति की जानकारी या तात्कालिक आवश्यकता के बगैर ही इसे पूरी तरह रोकने के लिये कूद पड़ना चाहिए या हम बगैर किसी कानूनी आधार के नैतिकता या शुचिता के मामले में सरकार को निर्देश दे सकते हैं। प्रतिपादित कानूनी व्यवस्था के मद्देनजर हमें इन क्षेत्रों में दखल देने से बचना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेन्ट्रल विस्टा परियोजना में पर्यावरण मंजूरी और दूसरी औपचारिकताओं की कमियों का हवाला देते हुये दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।

न्यायालय ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पत्रों तथा अन्य दस्तावेजों का जिक्र करते हुये याचिकाकर्ताओं की इन दलीलों को अस्वीकार कर दिया कि संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किये गये थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Local Body Polls Result: महायुति 214, एमवीए 49, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी, जानें किस पार्टी को कितनी सीटें

क्रिकेटस्मृति मंधाना श्रीलंका के खिलाफ पहले T20I में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल करने वाली पहली भारतीय क्रिकेटर बनी

भारतस्थानीय निकाय चुनावः 286 में से 212 सीट पर जीत?, अशोक चव्हाण बोले- भाजपा के 3,300 पार्षद निर्वाचित, जनवरी 2026 में 29 नगर निगमों चुनावों पर असर दिखेगा?

भारतबिहार में फाइनेंस कंपनियों के कर्ज से परेशान लोग आत्महत्या करने को मजबूर, पुलिस ने लिया गंभीरता से, ईओयू को दी कार्रवाई की जिम्मेदारी

भारतमुंबई निगम चुनावः नगर परिषद और पंचायत में करारी हार?, ठाकरे-पवार को छोड़ वीबीए-आरपीआई से गठजोड़ करेंगे राहुल गांधी?

भारत अधिक खबरें

भारतपालघर नगर परिषद में शिवसेना के उत्तम घरत ने भाजपा के कैलाश म्हात्रे को हराया और बीजेपी ने जव्हार नगर परिषद और वाडा नगर पंचायत पर किया कब्जा

भारतनगर परिषद और नगर पंचायत चुनावः MVA ने हार स्वीकार की, कहा-पैसा और निर्वाचन आयोग के कारण हारे

भारतमहाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावः अभी तो ‘ट्रेलर’ है?, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा-15 जनवरी को नगर निगम में फिल्म दिखेगा, असली शिवसेना कौन?

भारतMaharashtra Local Body Polls Result: विपक्ष ने महायुति की जीत के लिए 'पैसे की ताकत' और 'फिक्स्ड' ईवीएम का लगाया आरोप

भारतलोहा नगर परिषद चुनावः गजानन सूर्यवंशी, पत्नी गोदावरी, भाई सचिन, भाभी सुप्रिया, बहनोई युवराज वाघमारे और भतीजे की पत्नी रीना व्यावहारे की हार, भाजपा को झटका