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अदालत ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दवा के सीमा शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी

By भाषा | Updated: May 27, 2021 19:15 IST

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नयी दिल्ली, 27 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने ब्लैक फंगस के मरीजों, मुख्य रूप से कोविड-19 से स्वस्थ होने के बाद इससे प्रभावित होने वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी के सीमा शुल्क मुक्त आयात की बृहस्पतिवार को अनुमति प्रदान कर दी।

अदालत ने दवा पर सीमा शुल्क में छूट के बारे में केन्द्र का अंतिम फैसला होने तक आयातकों द्वारा अनुबंध पत्र प्रस्तुत करने पर यह राहत देने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि दवा की मांग और आपूर्ति में अंतर हर घंटे बढ़ता जा रहा है और ‘‘ युद्ध स्तर’ पर केंद्र द्वारा कदम उठाने की जरूरत है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ हर घंटे अंतर बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा। कृपया इस लड़ाई को समझें। हर पल अहम है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस से पीड़ित हजारों लोगों की जान बचाने के लिए दवाओं की आवश्यकता है और केंद्र को तब तक इसपर सीमा शुल्क में छूट देने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए जब तक कि देश में इसकी आपूर्ति कम है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि इस दवा (एम्फोटेरिसिन बी) का किसी भी व्यक्ति को असल सीमा शुल्क का भुगतान किए बिना ही आयातक द्वारा अनुबंध पत्र प्रस्तुत किए जाने पर उस समय तक अनुमति दी जाए जब तक कि केंद्र इसपर फैसला नहीं ले लेती है।”

पीठ ने कहा, “पत्र में यह वचन दिया जाना चाहिए कि अगर आयात शुल्क में छूट नहीं दी जाती, तो इस शुल्क का भुगतान आयातकर्ता करेगा। ”

बाद में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अमित महाजन ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने उन सभी जीवन रक्षक दवाओं को सीमा शुल्क से पूरी तरह से छूट दी है, बशर्ते उनका आयात निजी इस्तेमल के लिए किया जाता है व एम्फोटेरिसिन बी भी जीवन रक्षक दवाओं की सूची में शामिल है।

हालांकि, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अधिवक्ता निधि मोहन पराशर ने स्पष्ट किया कि सीमा शुल्क से तभी छूट मिलेगी अगर दवा विदेश से किसी रिश्तेदार या मित्र ने मुफ्त में भेजी है।

इस पर अदालत ने सवाल किया कि अगर दिल्ली सरकार यह दवा विदेश से खरीदना चाहती है तो क्या उसे भी शुल्क से छूट मिलेगी क्योंकि राज्य का विदेश में कोई रिश्तेदार नहीं है। अदालत ने केंद्र के वकील से कहा कि वह इस पहलू पर निर्देश लेकर अदालत को अवगत कराएं।

यह मुद्दा ब्लैक फंगस पीड़ित मरीज की याचिका पर बहस के दौरान आया जिसे दवा नहीं मिल रही है।

एक वकील ने अदालत को सूचित किया कि दवा पर आयात शुल्क 27 प्रतिशत है जबकि अन्य वकील ने कहा कि यह 78 प्रतिशत है।

केंद्र के वकील ने कहा कि उन्हें ठीक-ठीक प्रतिशत के बारे में नहीं पता और सक्षम प्राधिकरण से निर्देश प्राप्त करने के बाद वह अदालत को सूचित करेंगे।

केंद्र सरकार के स्थायी वकील कीर्तिमान सिंह ने दलील दी कि ऐसी दवाओं पर आयात शुल्क में छूट देने के मुद्दे की जानकारी आज अधिकारियों को दे दी जाएगी और जल्द ही फैसला लिया जाएगा।

पीठ ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र आयात शुल्क में छूट देने पर विचार करेगा।

पीठ ने कहा, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह दवा देश में हजारों लोगों को संक्रमित कर रहे ब्लैक फंगस से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए जरूरी है, केंद्र सरकार इन दवाओं पर सीमा शुल्क में पूर्ण रूप से छूट देने पर गंभीरता से विचार करे कम से कम तब तक भारत में इसकी आपूर्ति कम है।”

अदालत को केंद्र की ओर से आश्वासन दिया गया कि सीमा शुल्क विभाग ब्लैक फंगस और कोविड-19 से संबंधित सभी खेपों को बिना किसी देरी के मंजूरी देगा।

पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राजीव शखधर के फैसले का संदर्भ दिया जिन्होंने ऑक्सीजन सांद्रकों पर आईजीएसटी लगाने को असंवैधानिक करार दिया था।

पीठ ने कहा, “न्यायमूर्ति शखधर के आईजीएसटी पर आदेश के बाद, क्या आपके लिए (केंद्र) ऐसे शुल्क लगाना उचित है? आपको इसमें पूरी तरह छूट देनी चाहिए। ऐसी चीजों के आयात में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। कुछ वक्त के लिए कम से कम इसमें छूट दें।”

केंद्र के वकील ने सहमति जताई कि दो-तीन महीनों के लिए अस्थायी तौर पर ऐसा किया जा सकता है।

पीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि केंद्र द्वारा निर्धारित माध्यमों के अलावा अगर कोई राज्य सरकार या व्यक्ति अपने बूते दवा का आयात करना चाहता है तो उसे रोका नहीं जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार केंद्र से परे अन्य स्रोतों से दवा खरीदने की कोशिश कर रही है तो उसे रोका नहीं जाना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने कहा कि इस तात्कालिक संकट से तुरंत निपटने की जरूरत है और सुझाव दिया कि सरकार को निर्माताओं के साथ-साथ वितरकों से संपर्क करना चाहिए और उसे वैश्विक निविदा का इंतजार नहीं करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या राष्ट्रीय प्राधिकरण सिंगापुर और दुबई के वितरकों से पूछे तो , हम उन मरीजों को दवा मुहैया करा सकते हैं जिनकी जिंदगी बचाने की जरूरत है और इसके रास्ते में कीमत आड़े नहीं आनी चाहिए।’’

दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि अगर केंद्र बयान जारी करे कि राज्य सरकार दवा आयात करने को स्वतंत्र हैं तो उनके द्वारा दवा खरीदने की सभी कोशिश की जाएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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