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'पिछले साल से बढ़ रहे हैं सूखा रोग के मामले, संपन्न परिवार के बच्चे हो रहे प्रभावित'

By भाषा | Updated: August 3, 2021 23:11 IST

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नयी दिल्ली, तीन अगस्त राष्ट्रीय राजधानी में स्थित एक निजी अस्पताल ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल से ही दिल्ली में रिकेट्स (सूखा रोग) के मामले बढ़ रहे हैं और संपन्न परिवार के बच्चे भी हड्डियों की इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) ने एक बयान में कहा कि उसके पास पिछले एक साल से हर महीने रिकेट्स के करीब 12 मामले आ रहे हैं, जो इस बीमारी में 300 प्रतिशत की वृद्धि है। इन मरीजों की उम्र 2 से 12 साल की है।

रिकेट्स या सूखा रोग बच्चों में होने वाली हड्डियों की बीमारी है जो विटामिन डी, कैल्सियम और फास्फोरस की कमी से होती है। इसमें हड्डियों में दर्द, हड्डियों का कमजोर होना या नरम पड़ना और अन्य विकृतियां आ जाती हैं।

सेंटर द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘‘पिछले एक साल से अस्पताल में हर महीने औसतन 12 बच्चे आ रहे हैं, जिन्हें हड्डियों या जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है और जांच में उनके रिकेट्स से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक घर के भीतर रहने, सूर्य की रोशनी शरीर पर नहीं पड़ने के कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो रही है और इस कारण उन्हें रिकेट्स हो रहा है। डॉक्टरों ने कुपोषण को इसका कारण मानने से इंकार कर दिया।’’

सेंटर के डॉक्टरों ने कहा कि कोविड लॉकडाउन से पहले रिकेट्स से पीड़ित जो बच्चे अस्पताल आते थे, वे ज्यादातर गरीब परिवारों से होते थे और उनमें बीमारी का कारण कुपोषण था, लेकिन अब संपन्न परिवारों के बच्चों में भी रिकेट्स हो रहा है।

अस्पताल ने कहा, ‘‘माता-पिता को भी इस बीमारी की जानकारी नहीं है और वे बच्चे को हमारे पास तब लाते हैं जब रीढ़ की हड्डी, पेल्विस या पैरों में दर्द या कमजोरी के कारण बच्चों को रोजमर्रा की गतिविधियों में दिक्कत आने लगती है। कुछ बच्चों के शरीर में इससे विकृति भी पैदा हो सकती है, जैसे पैरों या घुटनों का मुड़ जाना।’’

डॉक्टर सुरभित रस्तोगी ने कहा कि सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत है और इन बच्चों पर उसका अच्छा प्रभाव हुआ है।

बयान के अनुसार, डॉक्टर ने कहा, ‘‘भारत जैसे उष्णकटिबंधिय देश में रिकेट्स सामान्य बीमारी नहीं है क्योंकि यहां सूर्य की रोशनी पर्याप्त मात्रा में है। कोविड लॉकडाउन से पहले, हमें महीने में रिकेट्स के तीन-चार मामले मिलते थे, उनमें से ज्यादातर गरीब परिवार के होते थे और कुपोषण उनकी बीमारी का कारण होता था।’’

डॉक्टरों ने कहा, लेकिन पिछले एक साल में बच्चों का बाहर निकलना लगभग बंद हो गया है जिससे उन्हें प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मिलना बंद हो गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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