आतंकवादी-पाकिस्तानी सेना सोशल मीडिया पर कश्मीर के लोगों को ‘जेहाद’ के लिए भड़का रही, इसलिए इंटरनेट पर पाबंदी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 27, 2019 05:04 PM2019-11-27T17:04:58+5:302019-11-27T17:04:58+5:30

जम्मू कश्मीर प्रशासन की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ को बताया कि देश के भीतर ही दुश्मनों के साथ लड़ाई नहीं है बल्कि सीमा पार के दुश्मनों से भी लड़ना पड़ रहा है।

Terrorist-Pakistani army is provoking the people of Kashmir for 'Jihad' on social media, hence internet ban | आतंकवादी-पाकिस्तानी सेना सोशल मीडिया पर कश्मीर के लोगों को ‘जेहाद’ के लिए भड़का रही, इसलिए इंटरनेट पर पाबंदी

पीठ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल के मुताबिक ये दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के हैं और अदालत के अलावा किसी और के साथ साझा नहीं किए जा सकते।

Highlightsअलगाववादी, आतंकवादी और पाकिस्तान सेना सोशल मीडिया पर लोगों को ‘जेहाद’ के लिए भड़का रही थी। नेताओं, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के सार्वजनिक भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट का भी हवाला दिया।

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद वहां पर इंटरनेट पर लगायी गयी पाबंदी को उचित ठहराया और कहा कि अलगाववादी, आतंकवादी और पाकिस्तान सेना सोशल मीडिया पर लोगों को ‘जेहाद’ के लिए भड़का रही थी।

प्रशासन ने शीर्ष अदालत को बताया कि लोगों की हिफाजत और उनके जीवन की सुरक्षा के लिए बंदिशें लगायी गयीं क्योंकि कुछ लोगों ने भड़काऊ बयानों से लोगों को भड़काने की कोशिश की। जम्मू कश्मीर प्रशासन की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ को बताया कि देश के भीतर ही दुश्मनों के साथ लड़ाई नहीं है बल्कि सीमा पार के दुश्मनों से भी लड़ना पड़ रहा है।

मेहता ने अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के सार्वजनिक भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट का भी हवाला दिया। सॉलिसीटर जनरल, अखबार ‘कश्मीर टाइम्स’ की संपादक अनुराधा भसीन और अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद वहां पर लगायी गयी पाबंदियों को चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से दायर याचिकाओं पर जवाब दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि यह ‘अपरिहार्य परिस्थिति’ है, जहां असाधारण उपाय की जरूरत होती है क्योंकि निहित हित वाले लोग मनोवैज्ञानिक साइबर युद्ध छेड़ रहे हैं। मेहता ने जब पुलिस अधिकारियों की एक सीलबंद रिपोर्ट सौंपने की कोशिश की तो भसीन की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने इस पर आपत्ति की और कहा कि अगर कोई भी नयी सामग्री दाखिल की जाती है तो उन्हें इस पर जवाब देने का मौका मिलना चाहिए, अन्यथा अदालत को इस पर विचार नहीं करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल के मुताबिक ये दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के हैं और अदालत के अलावा किसी और के साथ साझा नहीं किए जा सकते। आजाद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दखल दिया और कहा कि वे मान लेंगे कि सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है, खुफिया जानकारी से संबंधित है और पड़ोसी देश की संलिप्तता से कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता लेकिन अदालत को सीलबंद लिफाफे में दी गयी सामग्री पर विचार नहीं करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में दिए गए दस्तावेजों पर विचार नहीं करेगी और मेहता को जम्मू कश्मीर से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर बंदिशों के बारे में स्पष्ट करने को कहा। मामले पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

Web Title: Terrorist-Pakistani army is provoking the people of Kashmir for 'Jihad' on social media, hence internet ban

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