नयी दिल्ली, छह जुलाई विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि वकीलों एवं अर्द्ध न्यायिक स्वयंसेवकों के साथ टेलीफोन और वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जरूरतमंदों को कानूनी मदद मुहैया कराने की टेली-लॉ (दूरसंचार कानून) योजना ने उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए आवाज दी है, जो इससे पहले तक अपनी आवाज नहीं उठा पाते थे।
प्रसाद ने इस योजना के तहत नौ लाख से अधिक लोगों के लाभान्वित होने के अवसर पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में कहा कि देशभर में संचालित सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) लैंगिक समानता और सशक्तीकरण का माध्यम बने हैं। मंत्री ने टेली-लॉ से जुड़े वकीलों और अर्द्ध-न्यायिक स्वयंसेवकों से इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जीवित रखने का आग्रह किया। मंत्री ने यह भी कहा कि टेली-लॉ में न्याय प्रदान करने और कानून के शासन को मजबूत करने की समावेशी प्रकृति को बढ़ावा देने की क्षमता है।
सचिव (न्याय) बरुण मित्रा ने कहा कि टेली-लॉ के जरिए पिछले एक साल में कानूनी सलाह लेने वाले लाभार्थियों की संख्या में 369 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मित्रा ने कहा कि उनके विभाग ने जनवरी 2020 में ‘नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) से आकलन कराया था। एनसीएईआर ने कहा कि टेली-लॉ गरीबों और कमजोरों को कानूनी रूप से सशक्त बनाने के लिए एक सफल मॉडल है और उसने अखिल भारतीय स्तर पर इसे और विस्तार देने की सिफारिश की।
टेली-लॉ कार्यक्रम वर्तमान में 50,000 सीएससी के नेटवर्क के माध्यम से 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 633 जिलों (115 आकांक्षी जिलों सहित) में संचालित किया जा रहा है। मंत्री ने इस अवसर पर ‘टेली-लॉ - रीचिंग द अनरीच्ड’ (वंचित लोगों तक पहुंच) नाम से एक विशेष डाक कवर जारी किया।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।