हैदराबाद: तेलंगाना हाईकोर्ट ने सोमवार को सरकार के उस विवादित आदेश पर रोक लगा दी जिसमें सभी जनसूचना अधिकारियों को आरटीआई के तहत जानकारी देने से पहले मंजूरी लेने का निर्देश दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने सभी जन सूचना अधिकारियों (पीआईओ) को निर्देश दिया था कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी देने से पहले वे अपने विभाग के प्रमुखों, मुख्य सचिवों और विशेष मुख्य सचिवों से मंजूरी लें.
13 अक्टूबर, 2021 के मुख्य सचिव के इस आदेश की आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व नौकरशाहों ने भी आलोचना की थी.
हैदराबाद स्थित थिंक टैंक फोरम फॉर गुड गवर्नेंस (एफजीजी) ने आदेश को वापस लेने में तेलंगाना के राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के हस्तक्षेप का भी आग्रह किया था.
इसके साथ ही दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश दिया है. अदालत ने साफ किया कि जन सूचना अधिकारियों के लिए आवेदन के माध्यम से मांगी गई जानकारी को प्रसारित करने से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है.
हालांकि, राज्य सरकार ने कहा था कि आरटीआई अधिनियम जन सूचना अधिकारियों को आवश्यक जानकारियां निकालने से पहले संबंधित अधिकारियों से सहायता लेने की 'मंजूरी' दी गई है.
हालांकि, आदेश पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि 'सहायता' और 'मंजूरी' जैसे शब्दों में हेरफेर नहीं किया जा सकता है.
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (सामान्य प्रशासन विभाग), और केंद्रीय लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के प्रमुख सचिव को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.