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Bihar Adhikar Yatra: 11 जिला, 66 विधानसभा सीट और 5 दिन, खुद को महागठबंधन में बड़ा दिखाने की कोशिश में तेजस्वी यादव और सीएम फेस पर नजर

By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 16, 2025 12:12 IST

Bihar Adhikar Yatra: यात्रा 11 जिलों से निकलेगा और 66 विधानसभा सीट कवर करेगा। 16 सितंबर से यात्रा शुरू कर रहे हैं और 20 सितंबर को वैशाली में खत्म होगा।

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ठळक मुद्देकांग्रेस ने अभी से आंख दिखाना शुरू कर दिया है।बिहार की लड़ाई तेजस्वी यादव के लिए काफी मुश्किल है।हम सब मिलकर एक नया और विकसित बिहार बनाएं।

पटनाः राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के छोटे पुत्र वोटर अधिकार यात्रा के बाद बिहार अधिकार यात्रा आज से शुरू कर रहे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव 16 सितंबर से एक बार फिर से यात्रा की सियासत शुरू कर दी। यह यात्रा 11 जिलों से निकलेगा और 66 विधानसभा सीट कवर करेगा। 16 सितंबर से यात्रा शुरू कर रहे हैं और 20 सितंबर को वैशाली में खत्म होगा। इस बिहार की लड़ाई तेजस्वी यादव के लिए काफी मुश्किल है। कांग्रेस ने अभी से आंख दिखाना शुरू कर दिया है। तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखा है कि नया बिहार बनाने के संकल्प के साथ “बिहार अधिकार यात्रा” की शुरुआत है। बिहार में उद्योग-धंधे स्थापित करने, नए अवसर प्रदान करने व स्थायी नौकरी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, चहुमुखी विकास और रोजगार सुनिश्चित करने के अधिकार की यात्रा है। आइए नई सोच, नई दृष्टि और नए विज़न के साथ हम सब मिलकर एक नया और विकसित बिहार बनाएं।

Bihar Adhikar Yatra: आज हर मुख से, एक ही नारा, एक ही गूँज बिहार के माटी के कण कण में गूंज रही है आई-आई-आई… RJD… आई आई-आई-आई… RJD… आई!

विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है। हालांकि प्रशांत किशोर की जनसुराज ने चुनाव को त्रिकोणीय बनाया है। पीके लगातार दौरा कर दोनों मुख्य दल पर हमला कर रहे हैं और नए बिहार की बात कर रहे हैं। महागठबंधन में मुख्य दल राजद है और हमेशा राजद बड़ी पार्टी के रूप में लड़ी है। सीएम फेस को लेकर खींचतान है।

राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा के समय कभी भी तेजस्वी यादव को सीएम फेस नहीं घोषित किया। महागठबंधन में सीट को लेकर भी मारामारी है और कांग्रेस, वामदल और मुकेश साहनी की VIP अधिक से अधिक सीट की मांग कर रही है। यादव की यात्रा जहानाबाद से शुरू होकर वैशाली तक जाएगी। 20 सितंबर को वैशाली में खत्म होगा।

यह यात्रा जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर, उजियारपुर और वैशाली जाएगी। राजद नेता जनता से जनसंवाद करेंगे और नीतीश कुमार की पोल खोलेंगे। बिहार में कानून-व्यवस्था, ंमहंगाई और रोजगार पर एनडीए सरकार को घेरेंगे।

अभी हाल ही में तेजस्वी यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मतदाता अधिकार यात्रा की प्रक्रिया पूरी कर आए हैं। लेकिन इस बार की उनकी यह यात्रा एकला है, अर्थात महागठबंधन के किसी भी सहयोगी को उन्होंने इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित नही किया है। ऐसे में उनके इस यात्रा को लेकर सियासत गर्मा गई है। जानकारों का मानना है कि मतदाता अधिकार यात्रा का श्रेय खुद राहुल गांधी लेकर चले गए।

इससे कांग्रेस की जमीन तैयार करना माना गया। ऐसे में राजद नेताओं का मानना है कि राजद अब खुद अपना जमीन तैयार करेगी। जानकारों का कहना है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस के गेम प्लान में फंस गए हैं। ऐसे में उन्हें अब अपनी ताकत दिखानी होगी। दरअसल, तेजस्वी यादव महागठबंधन में खुद के हाशिये पर जाने का डर सताने लगा है।

शायद यही कारण है कि तेजस्वी यादव मंगलवार से ‘बिहार अधिकार यात्रा’ पर निकलने वाले हैं। हालांकि सियासी गलियारे में यह सवाल उठाया जा रहा है कि 15 दिन पहले राहुल गांधी और महागठबंधन के अन्य नेताओं के साथ मतदाता अधिकार यात्रा में शामिल होने वाले तेजस्वी यादव को अब अकेले यात्रा करने की नौबत क्यों आई?

सियासत के जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह कदम सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वह यह यात्रा किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने ही गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस के खिलाफ निकाल रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी की यात्रा ने बिहार कांग्रेस को एक नई ऊर्जा दी है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से हाशिए पर चल रही कांग्रेस अब सीटों के बंटवारे में ज्यादा सीटों की मांग कर रही है।

ऐसी स्थिति में कांग्रेस की इस मांग को काउंटर करने के लिए तेजस्वी यादव का यह कदम जरूरी हो गया है। जिससे वह यह साबित कर सकें कि मतदाता अधिकार यात्रा में जुटने वाली भीड कांग्रेस की नहीं बल्कि राजद की थी। राजद आज भी महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और वह अकेले ही जनता को अपने पक्ष में कर सकते हैं।

ऐसे में तेजस्वी यादव अपनी खुद की यात्रा से यह साबित करना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के निर्विवाद नेता हैं और मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में जनता की पहली पसंद हैं। तेजस्वी अपने पिता लालू यादव की तरह जनता से सीधे तौर पर जुड़ना चाहते हैं। बता दें कि लालू यादव भी हमेशा यात्राओं और रैलियों के जरिए लोगों से सीधे जुड़ते थे। ऐसे में तेजस्वी की यह यात्रा लालू की उस विरासत को आगे बढ़ाने का एक प्रयास भी है, जिसमें जनता के साथ सीधा संवाद होता है।

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