नई दिल्ली: जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ महत्वाकांक्षी राजनेता ‘हिंदुओं के नेता’ बनने की कोशिश कर रहे हैं। हिंदू संत ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मैं मोहन भागवत के बयान से पूरी तरह असहमत हूं। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासनकर्ता नहीं हैं, बल्कि हम हैं।" गुरुवार को भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद के फिर से उभरने की बात कही और लोगों को ऐसे मुद्दे न उठाने की सलाह दी थी।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि मंदिर-मस्जिद विवाद को उछालकर और सांप्रदायिक विभाजन फैलाकर कोई भी "हिंदुओं का नेता" नहीं बन सकता। भागवत ने कहा, "वहां राम मंदिर होना चाहिए और ऐसा हुआ भी। वह हिंदुओं के लिए श्रद्धा का स्थान है... लेकिन हर दिन तिरस्कार और दुश्मनी के लिए नए मुद्दे उठाना ठीक नहीं है। कुछ लोगों को लगता है कि वे हर दिन ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।"
स्वामी रामभद्राचार्य ने उत्तर प्रदेश के संभल में चल रहे तनाव पर भी बात की और स्थिति को बेहद चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा, "संभल में अभी जो हो रहा है, वह बहुत बुरा है। हालांकि, सकारात्मक पहलू यह है कि चीजें हिंदुओं के पक्ष में सामने आ रही हैं। हम इसे अदालतों, मतपत्रों और जनता के समर्थन से सुरक्षित करेंगे।"
उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की और हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा, "वहां जो हो रहा है, वह बहुत बुरा है। हमने सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बेहद क्रूर है। लेकिन, हिंदुओं के खिलाफ इन कृत्यों के लिए जिम्मेदार हर व्यक्ति को परिणाम भुगतने होंगे।"
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अगले साल होने वाले महाकुंभ के बारे में स्वामी रामभद्राचार्य ने लोगों से पूरे मन से इसमें भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने देश भर के श्रद्धालुओं को निमंत्रण देते हुए कहा, "सभी को आना चाहिए। सभी को पवित्र स्नान का अवसर मिलेगा। भारत की अखंडता और एकता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।"