महाराष्ट्र: NCP नेता अजित पवार और सुप्रिया सुले विधानसभा पहुंचकर आपस में गले मिले, आज विधायकों को दिलाई जाएगी शपथ
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 27, 2019 08:29 AM2019-11-27T08:29:52+5:302019-11-27T08:30:48+5:30
आज महाराष्ट्र विधानसभा में नए चुने हुए विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। सभी पार्टी के चुने हुए विधायक सदन पहुंच रहे हैं।
मुंबई में आज राकांपा नेता अजित पवार और सुप्रिया सुले नई विधानसभा के पहले सत्र से पहले विधानसभा पहुंच गए हैं। विधानसभा पहुंचने के बाद दोनों आपस में गले मिले। जानकारी के लिए आपको बता दें कि में आज विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। इस दौरान सुप्रिया सुले ने कहा कि हमारे व हमारी सरकार के कंधों पर अब नई जिम्मेवारी आ गई है, पूरे प्रदेश की जनता हमारे साथ है।
NCP leader Supriya Sule at the assembly in Mumbai: Lot of new responsibility. Every citizen of #Maharashtra stood by us. https://t.co/tvM2SQk8frpic.twitter.com/tEuvgHTHAD
— ANI (@ANI) November 27, 2019
इसके अलावा आपको बता दें कि महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए रातोंरात की गई जिस कोशिश ने देवेंद्र फड़नवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया, भाजपा का वही दांव उल्टा पड़ गया और अब उस पर सरकार बनाने के लिए संवैधानिक पदों का दुरुपयोग करने और दागी व्यक्तियों से हाथ मिलाने के आरोप लग रहे हैं।
भाजपा नेता ने जिस दिन जल्दबाजी भरे एक समारोह में शपथ ली, उसके तुरंत बाद राकांपा के ज्यादातर विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व में ही भरोसा जता दिया।
Mumbai: NCP leaders Ajit Pawar & Supriya Sule arrive at the assembly, ahead of the first session of the new assembly today. Oath will be administered to the MLAs in the assembly today. #Maharashtrapic.twitter.com/lyGtcCunif
— ANI (@ANI) November 27, 2019
ऐसे में भगवा खेमे में फड़नवीस द्वारा बहुमत साबित करने की उम्मीद धूमिल होने लगी। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जब आदेश दिया कि फडणवीस सरकार बुधवार को बहुमत साबित करे, तो बाकी बची उम्मीद भी खत्म होने लगी।
मोदी-शाह के निर्देश पर फड़नवीस ने दिया इस्तीफा!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ संसद स्थित अपने कार्यालय में महाराष्ट्र में पार्टी के पास बचे विकल्पों पर विचार किया। इसके कुछ घंटों बाद फड़नवीस ने इस्तीफा दे दिया। भाजपा का मानना था कि अजित पवार के पाला बदलने और उनके उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से वह 288 सदस्यों वाली विधानसभा में सामान्य बहुमत का आंकड़ा जुटा लेगी। पवार शनिवार को पद से हटाए जाने तक राकांपा के विधायक दल के नेता थे।
इसी फडणवीस सरकार ने 2014-19 के अपने पिछले कार्यकाल के दौरान अजित पावर के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले में जांच शुरू की थी। ये भ्रष्टाचार के मामले उस समय के हैं, जब कांग्रेस-राकांपा सरकार (2009-14) में वह उपमुख्यमंत्री थे और इस मुद्दे पर उन पर अक्सर हमले किए जाते थे।
इस तरह बहुमत नहीं होने के बावजूद सरकार बनाने पर हुई आलोचनाओं को भाजपा ने खारिज किया और उसके प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि अजित पवार द्वारा राकांपा का समर्थन देने के भरोसे के बाद ऐसा “अच्छे इरादे” के साथ किया गया।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश में बीजेपी को हुआ नुकसान
हालांकि, मंगलवार को दिन में अजित पवार द्वारा इस्तीफा देने के बाद फड़नवीस ने भी इस्तीफा दे दिया। हालांकि, राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि भारत के सबसे धनी राज्य पर शासन करने की कोशिश में पार्टी की छवि को जो नुकसान हुआ है, उससे इनकार नहीं किया जा सकता।
मोदी और शाह की अगुवाई में भाजपा ने कभी भी मौका पाने पर सत्ता पाने की कोशिश करने में संकोच नहीं दिखाया है। उसने 2017 में सीटों के लिहाज से कांग्रेस से पीछे रहने के बावजूद छोटे दलों के साथ मिलकर गोवा में सरकार बनाई। वहां कांग्रेस को 40 में 17 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा को सिर्फ 13 पर।
उसका प्रयोग हालांकि पहली बार कर्नाटक में सफल नहीं हुआ, लेकिन आखिरकार वह वहां भी सरकार बनाने में सफल रही। कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा बहुमत से दूर रह गई। उसने सरकार बनाई लेकिन येदियुरप्पा ने कांग्रेस और जद (एस) के हाथ मिलाने के बाद बहुमत परीक्षण से पहले इस्तीफा दे दिया। हालांकि, कांग्रेस और जद (एस) सरकार जल्द ही गिर गई, क्योंकि दोनों दलों के कई विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और सरकार अल्पमत में आ गई। बाद में ये सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए।
येदियुरप्पा ने फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अब अगले महीने होने वाले उपचुनाव में उनके भाग्य का फैसला होना है। भाजपा नेता कहते हैं कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच वैचारिक विरोधाभास और जमीन स्तर पर प्रतिस्पर्धा के चलते ये गठबंधन टिकाऊ नहीं होगा और इसलिए उन्हें एक बार फिर महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी की उम्मीद है।