सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से सांसद-विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का मांगा ब्योरा, चार हफ्तों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 11, 2022 09:09 IST2022-10-11T09:04:23+5:302022-10-11T09:09:10+5:30
शीर्ष अदालत ने न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की दलील को संज्ञान में लेते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन दायर किये गये हैं जिसमें विशेष अदालत के प्रभार से मुक्त करने की अनुमति देने की मांग की गई है, क्योंकि या तो उनकी प्रोन्नति हो गई है या फिर स्थानांतरण हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से सांसद-विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का मांगा ब्योरा, चार हफ्तों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा
नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी हाई कोर्ट को सांसदों-विधायकों के खिलाफ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाये गये कदमों समेत पूरा विवरण उपलब्ध कराने को कहा। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 10 अगस्त 2021 को दिये गये कोर्ट के आदेश में संशोधन कर दिया जिसमें यह कहा गया था कि न्यायिक अधिकारियों, जो सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे हैं, को अदालत की पूर्व मंजूरी के बिना बदला नहीं जा सकता।
शीर्ष अदालत ने न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की दलील को संज्ञान में लेते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन दायर किये गये हैं जिसमें विशेष अदालत के प्रभार से मुक्त करने की अनुमति देने की मांग की गई है, क्योंकि या तो उनकी प्रोन्नति हो गई है या फिर स्थानांतरण हो चुका है। शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त 2021 के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकारी होगा कि वह ऐसे न्यायिक अधिकारियों के तबादले का आदेश दे सकेंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी हाई कोर्ट को चार सप्ताह के अंदर एक हलफनामा दाखिल करके सांसद-विधायक के खिलाफ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों की संख्या और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताना होगा।
पीठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा वर्ष 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए जाने पर राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग के अलावा सांसद-विधायक के खिलाफ दर्ज मामलों में तेज सुनवाई की मांग की थी।