CJI रंजन गोगोई को लेकर SC का मानवाधिकार कार्यकर्ता को फटकार, कहा- किसी को भी संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाने दिया जायेगा

By भाषा | Published: May 2, 2019 09:00 PM2019-05-02T21:00:13+5:302019-05-02T21:00:13+5:30

Supreme court rejects human rights activist for cji Ranjan Gogoi | CJI रंजन गोगोई को लेकर SC का मानवाधिकार कार्यकर्ता को फटकार, कहा- किसी को भी संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाने दिया जायेगा

CJI रंजन गोगोई को लेकर SC का मानवाधिकार कार्यकर्ता को फटकार, कहा- किसी को भी संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाने दिया जायेगा

उच्चतम न्यायालय ने एक संवेदनशील विषय से प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को अलग करने की मांग करने को लेकर बृहस्पतिवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर को फटकार लगाते हुए कहा कि वह (शीर्ष अदालत) किसी को भी धौंस दिखाने और संस्था को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं देगा। 

उच्चतम न्यायालय ने मंदर से कहा कि वह संस्था (शीर्ष न्यायालय) को ढहने नहीं देगा। दरअसल, मंदर ने असम में अवैध विदेशियों की हिरासत से जुड़े एक विषय में प्रधान न्यायाधीश की ओर से कथित तौर पर पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया था। 

इसके अलावा मंदर को और शर्मिंदा करते हुए प्रधान न्यायासधीश ने विषय सूची से उनका नाम हटा दिया और उसकी जगह सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ एवं अन्य कर दिया। साथ ही, प्रधान न्यायाधीश ने इस मामले की वाई से खुद को अलग करने से भी इनकार कर दिया। अधिवक्ता प्रशांत भूषण को हटा कर खुद से दलील देने की मंदर की रणनीति उन पर भारी पड़ गई क्योंकि शीर्ष अदालत ने भूषण से कहा कि वह इस मामले में बतौर न्याय मित्र इस मामले में मदद करें। 

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल हैं। पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि न्यायलय यह कहना चाहता है कि किसी विषय की सुनवाई करने में अक्षमता/ कठिनाई/ अड़चन को न्यायाधीश द्वारा खुद महसूस करना चाहिए, ना कि वादी द्वारा । साथ ही, पीठ से प्रधान न्यायाधीश को अलग करने की मांग का आधार संस्था को नुकसान पहुंचाने की काफी संभावना रखता है। 

करीब 40 मिनट चली सुनवाई के दौरान मंदर को पीठ ने उनकी इस दलील को लेकर कड़ी फटकार लगाई कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के बयानों का नयायपालिका के भीतर ही नहीं बल्कि बाहर लोगों के बीच भी बड़ा असर होता है। 

पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘‘इस तरह से कैसे आप देश की सेवा करेंगे? पूर्वाग्रह के आरोप लगा कर? अपने न्यायाधीशों पर भरोसा करना सीखें...देखिये आपने संस्था को क्या नुकसान पहुंचाया है। ’’ प्रधान न्यायाधीश ने अपना रोष जाहिर करते हुए कहा कि यह आप (मंदर) किस तरह से बर्ताव कर रहे हैं मंदर? एक वादी सीजेआई के इरादे पर पर सवाल कर रहा है? आप मानवाधिकार के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन यह देश सेवा करने का कोई तरीका नहीं है। 

पीठ ने मंदर से यह भी पूछा कि वह न्यायालय की टिप्पणी से कैसे वाकिफ हुए जबकि वह (मंदर) पिछली सुनवाइयों के दौरान अदालत कक्ष में उपस्थित नहीं हुए थे। मंदर ने जब यह कहा कि उन्होंने अदालत की कार्यवाही के बारे में एक कानूनी न्यूज पोर्टल और एक अखबार में खबर पढ़ी। इस पर पीठ ने जोर से कहा, ‘‘आप इसे सोशल मीडिया से लेकर आ रहे हैं। 

आप सोशल मीडिया से कोई चीज उठा कर ला रहे हैं और इसे सीजेआई पर डाल रहे हैं और पूर्वाग्रह के आरोप लगा रहे हैं। ’’ सीजेआई ने मंदर से कहा, ‘‘अपनी कलम की स्याही सूखने से पहले हम अपने आदेशों पर पुनर्विचार भी करते हैं। बेशक हम गलतियां करते हैं लेकिन हम पुनर्विचार और क्यूरिटव के माध्यम से उसमें सुधार भी करते हैं।’’ इसके साथ ही पीठ ने कहा कि मुख्य विषय पर नौ मई को सुनवाई होगी। 

Web Title: Supreme court rejects human rights activist for cji Ranjan Gogoi

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