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1984 सिख विरोधी दंगा : न्यायालय सज्जन कुमार की सजा के निलंबन पर मई में करेगा सुनवाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 5, 2019 15:29 IST

उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान 1-2 नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राज नगर पार्टी-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारा जलाये जाने की घटनाओं के सिलसिले में उम्र कैद की सजा सुनायी है।

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ठळक मुद्देन्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि यह सामान्य मामला नहीं है ओर इसमें कोई भी आदेश देने से पहले विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है।कांग्रेस के पूर्व नेता 73 वर्षीय सज्जन कुमार इस समय दिल्ली की जेल में बंद हैं और उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दोषी करार दिये जाने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित मामलों में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार की उम्र कैद की सजा निलंबित करने की याचिका पर अगले साल मई में विचार किया जायेगा।

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि यह सामान्य मामला नहीं है ओर इसमें कोई भी आदेश देने से पहले विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। कांग्रेस के पूर्व नेता 73 वर्षीय सज्जन कुमार इस समय दिल्ली की जेल में बंद हैं और उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दोषी करार दिये जाने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान 1-2 नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राज नगर पार्टी-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारा जलाये जाने की घटनाओं के सिलसिले में उम्र कैद की सजा सुनायी है।

तत्कालीन प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। सज्जन कुमार ने उच्च न्यायालय के 17 दिसंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की हुई है।

उच्च न्यायालय ने उन्हें जीवन पर्यंत जेल की सजा सुनाई है। उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को बरी करने के निचली अदालत के 2010 के निर्णय निरस्त कर दिया था। लेकिन उसने पांच अन्य दोषियों-कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखड़, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और पूर्व विधायक महेन्द्र यादव तथा किशन खोखड़ को अलग-अलग अवधि की सजा सुनाने का निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर, 2018 को एक स्थानीय अदालत में समर्पण कर दिया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। 

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