सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर आजम खान को अंतरिम जमानत दी, कहा- विशेषाधिकार इस्तेमाल के लिए उपयुक्त मामला
By विशाल कुमार | Published: May 19, 2022 12:20 PM2022-05-19T12:20:33+5:302022-05-19T12:22:32+5:30
शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालत के नियमित जमानत की याचिका पर फैसला करने तक आजम खान अंतरिम जमानत पर रहेंगे। इसके साथ ही, उन्हें दो सप्ताह के भीतर सक्षम अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को बृहस्पतिवार को धोखाधड़ी के मामले में अंतरिम जमानत दे दी। इसके साथ ही, उन्हें दो सप्ताह के भीतर सक्षम अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालत के नियमित जमानत की याचिका पर फैसला करने तक वह अंतरिम जमानत पर रहेंगे। अगर अदालत का फैसला नियमित जमानत देने के खिलाफ है, तो अंतरिम जमानत दो सप्ताह की और अवधि के लिए काम करेगी।
जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए खान को जमानत दे दी।
पीठ ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का इस्तेमाल करने के लिए यह उपयुक्त मामला है।’’ आजम खान, उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में जमीन हथियाने सहित कई अन्य मामलों में सीतापुर जेल में बंद हैं।
क्या है मामला?
आजम खान द्वारा दायर रिट याचिका में जमानत देने की प्रार्थना के साथ धारा 420 और 120बी आईपी के तहत दर्ज कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में शीर्ष अदालत से यह भी अनुरोध किया गया था कि वह भविष्य में खान को गिरफ्तार करने से पहले उत्तर प्रदेश राज्य को उससे संपर्क करने का निर्देश दे। पीठ ने हालांकि रिट याचिका में अन्य राहतों पर विचार नहीं किया।
बता दें कि, कई मौकों पर पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत अर्जी के निपटारे में अत्यधिक देरी पर नाराजगी व्यक्त की थी। 06.05.2022 को उसने हाईकोर्ट को आदेश पारित करने का मौखिक रूप से अल्टीमेटम दिया था।
इसके बाद, हाईकोर्ट ने खान को जमानत दे दी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया। बल्कि एक अन्य मामले में उनकी न्यायिक हिरासत 19.05.2022 तक बढ़ा दी गई।
इस पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा था, ''यह क्या है? उन्हें जाने क्यों नहीं दिया गया। वह दो साल से जेल में बंद हैं। एक या दो मामलों में ठीक है, लेकिन यह 89 मामलों में नहीं हो सकता है। जब भी उन्हें जमानत मिलती है, तो उनको फिर से किसी और प्रकरण में जेल भेज दिया जाता है। आप (सरकार) जवाब दाखिल करें। हम मंगलवार को सुनवाई करेंगे।''
(भाषा के इनपुट के साथ)