नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए 10 जनवरी तक का समय दिया है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर 31 दिसंबर, 2023 तक फैसला करने का निर्देश दिया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के सामने पेश होते हुए एसजी तुषार मेहता (स्पीकर की ओर से) ने कहा कि मामले में कार्यवाही 20 दिसंबर, 2023 को बंद कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग दो लाख सत्तर हजार दस्तावेजों की जांच करनी पड़ी और इसके लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता पड़ी।
दलील सुनने के बाद पीठ ने माना कि स्पीकर ने उचित समय विस्तार की मांग की है। पीठ ने कहा कि याचिकाओं पर 10 जनवरी, 2024 तक फैसला किया जा सकता है। हालांकि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पिछली बार भी इसी तरह का विस्तार मांगा गया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "स्पीकर ने संकेत दिया है कि कार्यवाही 20 दिसंबर को बंद कर दी जाएगी। स्पीकर ने उचित समय विस्तार की मांग की है। पहले निर्धारित समय सीमा को ध्यान में रखते हुए, हम स्पीकर को निर्णय देने के लिए 10 जनवरी, 2023 तक का समय विस्तार देते हैं।"
बता दें कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका 11 मई, 2023 के संविधान पीठ के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आधारित थी कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर "उचित अवधि के भीतर" फैसला करना चाहिए।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शिवसेना के मामलों के लिए लंबी समय-सारणी निर्धारित करने के लिए अध्यक्ष की भी आलोचना की थी और अध्यक्ष से याचिकाओं की सुनवाई के लिए उचित समय-अनुमान देने को कहा था। अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई के लिए उचित कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष को "अंतिम अवसर" दिया था। पीठ ने उस समय-सारणी पर अपना असंतोष व्यक्त किया था, जो स्पीकर द्वारा अदालत को बताई गई थी, क्योंकि अदालत के अनुसार, उस समय-सारणी का पालन करने से अयोग्यता की कार्यवाही में कोई तत्काल या पूर्वानुमानित निष्कर्ष नहीं निकलेगा।