SC ने जमीन मालिक को दिया आदेश, सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए नि:शुल्क ले सकेगी प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा

By आकाश चौरसिया | Published: September 28, 2023 03:19 PM2023-09-28T15:19:19+5:302023-09-28T15:49:20+5:30

उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए सुनाया है कि जमीन मालिक को इसका कुछ हिस्सा बिना पैसों के लोगों के इस्तेमाल के लिए सरकार को देना होगा। फिर, भूमि के इस्तेमाल में आने वाले किसी दायरे को अवैध नहीं ठहराया जा सकेगा।

Supreme Court gives orders to land owners govt can take some part of the property free of cost for public use | SC ने जमीन मालिक को दिया आदेश, सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए नि:शुल्क ले सकेगी प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट का आदेश मालिकों को जमीन बिना पैसों के लोगों के इस्तेमाल के लिए सरकार को देना होगा SC ने यह टिप्पणी बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए सुनाई हैमामला मुंबई का है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मुंबई के जमीन मामले पर आदेश देते हुए कहा है कि जमीन के मालिक को इसका कुछ हिस्सा बिना पैसों के लोगों के इस्तेमाल के लिए  देना होगा। इसके बाद भूमि के उपयोग में आने वाले किसी भी दायरे को अवैध नहीं ठहराया जा सकेगा।

उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए सुनाई है। 

शीर्ष अदालत ने अपने पहले के फैसले के हवाला देकर कहा कि यदि नारायणराव जगोबाजी गोवांडे पब्लिक ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य सात के मामले में सरकार भूमि के विकास का लाभ और उसके विभाजन की अनुमति और भूमि का कॉर्मेशियल उपयोग करने के लिए अनुमति देती है भूमि मालिक को सार्वजनिक उपयोग के उद्देश्य के लिए भूमि का एक हिस्सा सरकार को सौंपना होगा।

फिर इस हिस्से को अवैध नहीं माना जा सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने अपील की गई याचिकाओं पर अनुमति देना गलत है।  

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में जज बीआर भाटी और बीआर गवई ने आदेश देकर कहा है कि हम हाई कोर्ट के 4 जुलाई 2019 के आदेश को खारिज कर रहे हैं। 

उच्चतम न्यायालय इस केस में हाई कोर्ट द्वारा दिए समान निर्णय के खिलाफ आई याचिकाओं को लेकर सुनवाई कर रहा हैं जिसमें शिर्डी नगर और पंचायत द्वारा रिट दाखिल की गई थी।

15 दिसंबर 1992 को नगर निगम ने जमीन पर विकास योजना की अनुमति दी थी। उस वक्त विवादित संपत्ति को ग्रीन जोन या अविकसित जोन में दिखाया गया था।

वहीं जमीन को लेकर 30 दिसंबर 2000 को इस विवादित जमीन को लेकर एक प्रस्ताव सामने आया था जिसमें अविकसित जोन को आवासीय जोन में परिवर्तित करने की बात कही थी। 

इसके बाद 18 अगस्त 2004 को सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा था कि जमीन का कुछ हिस्सा अविकसित क्षेत्र को रेजिडेंशियल क्षेत्र में बॉम्बे नगर निगम द्वारा पेश किए प्रस्ताव पर बताया था कि 10 फीसद को ओपन स्पेस और 10 प्रतिशत क्षेत्र पर दूसरी सुविधाओं से युक्त बनाने के लिए कहा था। फिर जमीन के मालिकों ने टाउन प्लानिंग प्राधिकरण के सामने अपना पक्ष रखते हुए जमीन पर प्लॉट बनाने की अनुमति मांगी थी। 

27 मार्च 2006 को लैंड ओनर्स ने नगर निगम से समझौता कर लिया था। समझौता के अनुसार कुल भूमि में से जमीन मालिकों ने कुछ हिस्से को खुली जगह के तौर पर और कुछ हिस्से को आंतरिक सड़क का रास्ता निकालने के रूप में नगरपालिका परिषद को सौंप दिया गया था। 

साल 2012 में नगर निगम ने जमीन पर कब्जा करने की बात रखी। जवाब में मालिक ने निगम के खिलाफ केस फाइल कर दिया था और नगरपालिका परिषद की इस मांग के खिलाफ अस्थायी निषेध की मांग करते हुए एक आवेदन कोर्ट में दायर किया था। इसे ट्रायल कोर्ट ने मांग को खारिज कर दिया था, फिर जमीन मालिकों ने हाई कोर्ट से मामले को वापस ले लिया था। 

Web Title: Supreme Court gives orders to land owners govt can take some part of the property free of cost for public use

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