उच्चतम न्यायालय ने 2018 के आधार फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज किया

By भाषा | Published: January 20, 2021 09:37 PM2021-01-20T21:37:18+5:302021-01-20T21:37:18+5:30

Supreme Court dismisses petitions requesting review of Aadhaar judgment of 2018 | उच्चतम न्यायालय ने 2018 के आधार फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज किया

उच्चतम न्यायालय ने 2018 के आधार फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज किया

नयी दिल्ली, 20 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने 2018 में केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी आधार योजना को लेकर दिये अपने फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

उच्चतम न्यायालय ने 2018 में आधार योजना को संतुलित बताते हुये इसकी संवैधानिक वैधता बरकरार रखी थी लेकिन न्यायालय ने बैंक खातों, मोबाइल कनेक्शन और स्कूल में बच्चों के प्रवेश आदि के लिये इसकी अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिये थे।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ ने 26 सितम्बर, 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाओं को 4:1 के बहुमत के साथ खारिज कर दिया।

पीठ के पांच न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने बहुमत वाले इस फैसले से असहमति जताई और कहा कि समीक्षा याचिकाओं को तब तक लंबित रखा जाना चाहिए जब तक कि एक वृहद पीठ विधेयक को एक धन विधेयक के रूप प्रमाणित करने पर फैसला नहीं कर लेती।

आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित किया गया था जिससे सरकार राज्यसभा में बहुमत की स्वीकृति प्राप्त किए बिना इस पारित कराने में समक्ष हो गई थी।

गत 11 जनवरी के बहुमत वाले आदेश में कहा गया है, ‘‘वर्तमान समीक्षा याचिकाओं को 26 सितम्बर, 2018 के अंतिम फैसले और आदेश के खिलाफ दाखिल किया गया था। हमने समीक्षा याचिकाओं का अवलोकन किया है। हमारी राय में 26 सितम्बर, 2018 की तिथि में दिये गये फैसले और आदेश की समीक्षा का कोई मतलब नहीं है।’’

पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति ए अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति बी आर गवई शामिल थे।

अपने एक अलग आदेश में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मुझे समीक्षा याचिकाओं को खारिज करने में बहुमत के फैसले से सहमत होने में असमर्थता पर खेद है।’’

उन्होंने कहा कि अन्यों के बीच दो महत्वपूर्ण प्रश्न हैं- क्या संविधान के अनुच्छेद 110 (3) के तहत एक विधेयक को अनुच्छेद 110 (1) के तहत ‘धन विधेयक’ के रूप में प्रमाणित करने संबंधी लोकसभा अध्यक्ष का फैसला अंतिम और बाध्यकारी है, या यह न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकता है और यदि निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है तो क्या आधार अधिनियम, 2016 को ‘धन विधेयक’ के रूप में सही ढंग से प्रमाणित किया गया था।

सितम्बर 2019 में संविधान पीठ द्वारा दिये गये एक अन्य फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने आधार अधिनियम 2018 फैसले में बहुमत की राय पर कहा कि क्या अनुच्छेद 110 के तहत आधार अधिनियम एक ‘धन विधेयक’ था जिस पर एक ‘‘समन्वय पीठ द्वारा संदेह किया गया है’’।

पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में आधार अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को भी खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने हालांकि कहा था कि कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी सब्सिडी की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आधार की आवश्यकता होगी।

वर्ष 2018 में यह फैसला सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों वाली पीठ में शामिल रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने बहुमत से इतर अपने फैसले में कहा था कि आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में पारित नहीं होना चाहिए था क्योंकि यह संविधान के साथ धोखे के समान है और निरस्त किये जाने के लायक है।

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Web Title: Supreme Court dismisses petitions requesting review of Aadhaar judgment of 2018

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