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सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन, चीन और फिलीपिंस से पढ़ाई छोड़कर लौटे छात्रों को दो प्रयासों में एमबीबीएस परीक्षा पास करने की दी इजाजत

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 29, 2023 13:52 IST

सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन, चीन और फिलिपींस से वापस लौटे भारतीय एमबीबीएस छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेजों में अपनी अधूरी परीक्षाओं को पास करने के लिए दो प्रयास का मौका प्रदान किया है।

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ठळक मुद्देयूक्रेन, चीन और फिलिपींस से लौटे एमबीबीएस छात्रों को परीक्षा पास करने के लिए मिलेगा दो मौकावापस लौटे छात्र किसी भी भारतीय मेडिकल कॉलेज में नामांकित हुए बिना दे सकते हैं परीक्षाछात्रों को एमबीबीएस परीक्षा पास करने के बाद अनिवार्य इंटर्नशिप को भी पूरा करना होगा

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वो युद्धग्रस्त यूक्रेन और कोरोना महामारी के कारण कारण चीन-फिलिपींस से वापस लौटे भारतीय एमबीबीएस छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेजों में अपनी अधूरी परीक्षाओं को पास करने के लिए दो प्रयास के मौके प्रदान करे।

इस संबंध में मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच के समक्ष राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) के साथ स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिश पेश की, जिसमें इस बात का प्रावधान किया गया है कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष के लौटे उन छात्रों को एमबीबीएस अंतिम परीक्षा पास करने का मौका दिया जाए। जिन्होंने ऑनलाइन अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की है।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा पेश किये हलफनामे में कहा गया है, "मौजूदा एनएमसी पाठ्यक्रम और दिशानिर्देशों के अनुसार विदेश से अधूरी पढ़ाई के बीच स्वदेश लौटे छात्रों को एमबीबीएस फाइनल, प्रथम वर्ष और दूसरे वर्ष की परीक्षाओं को पास करने का एक मौका दिया जा सकता है। छात्र किसी भी मौजूदा भारतीय मेडिकल कॉलेज में नामांकित हुए बिना भी एक वर्ष की अवधि के भीतर परीक्षा दे सकते हैं।"

इसके अलावा मंत्रालय के हलफनामे में यह भी कहा गया है कि समिति ने इस बात पर भी जोर दिया है कि यह विकल्प केवल एक बार के लिए हो और भविष्य में इस तरह के किसी अन्य मामले में आधार न बने। छात्रों को दो परीक्षाओं को पास करने के बाद दो साल की अनिवार्य इंटर्नशिप भी पूरी करनी होगी, जिसमें से पहला साल मुफ्त होगा और दूसरे साल का भुगतान एनएमसी द्वारा मानकों के आधार पर किया जाएगा।"

केंद्र सरकार ने हलफनामे के माध्यम से कहा है कि थ्योरी परीक्षा भारतीय एमबीबीएस परीक्षा की तर्ज पर आयोजित की जा सकती है, वहीं प्रैक्टिकल परीक्षा कुछ नामित सरकारी मेडिकल कॉलेजों द्वारा आयोजित की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में विदेश से लौटे छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं गोपाल शंकरनारायणन और एस नागमुथु ने भारतीय पाठ्यक्रम के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर विदेश से लौटे छात्रों की चिंता से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया।

जिसके बाद जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि अदालत समिति की रिपोर्ट को मामूली संशोधन के साथ स्वीकार करती है कि छात्र को एमबीबीएस फाइनल, प्रथम वर्ष और दूसरे वर्ष की परीक्षाओं को पास करने का एक ही मौका दिया जा रहा है, इससे छात्रों को परेशानी होगी। इस कारण से दोनों परीक्षाओं को पास करने के लिए छात्रों को एक नहीं बल्कि दो मौके दिये जाएं क्योंकि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से कह चुक है कि वो विदेश से लौटे भारतीय छात्रों की समस्याओं पर नरमी से विचार करे।

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