‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना पर सीडीएस चौहान ने कहा-सेना को जमीन, वायु, समुद्री, पनडुब्बी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में खुफिया, निगरानी और टोही तंत्र को एकीकृत करने की आवश्यकता

By मुकेश मिश्रा | Updated: August 26, 2025 15:35 IST2025-08-26T15:34:02+5:302025-08-26T15:35:15+5:30

'सुदर्शन चक्र' जैसे स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह भारत की ढाल और तलवार दोनों का काम करेगा।

Sudarshan Chakra project CDS Chauhan said Army needs integrate intelligence, surveillance and reconnaissance systems in land, air, sea, submarine and space areas | ‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना पर सीडीएस चौहान ने कहा-सेना को जमीन, वायु, समुद्री, पनडुब्बी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में खुफिया, निगरानी और टोही तंत्र को एकीकृत करने की आवश्यकता

file photo

Highlightsसेनाओं की त्वरित तथा निर्णायक संयुक्त प्रतिक्रिया ही सफलता की कुंजी होगी।आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित पहली त्रि-सेवा संगोष्ठी “रण संवाद” के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।टेक्नोलॉजी में तेज़ी से हो रहे बदलावों को अपनाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

महूः प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि 'सुदर्शन चक्र' वायु रक्षा प्रणाली के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास करना होगा, जिसमें मिसाइलों और निगरानी प्रणालियों जैसी प्रमुख त्रि-सेवा सैन्य परिसंपत्तियों की एक श्रृंखला शामिल होगी ताकि एक अभेद्य सामरिक कवच बनाया जा सके। चौहान ने कहा है कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक सीमाओं तक सीमित नहीं रहेंगे और इनसे जीत सुनिश्चित करने के लिए सेनाओं की त्वरित तथा निर्णायक संयुक्त प्रतिक्रिया ही सफलता की कुंजी होगी।

उन्होंने आत्मनिर्भरता, आधुनिक तकनीकों के प्रयोग और एकीकृत लॉजिस्टिक्स को निर्णायक कारक बताते हुए कहा कि भारत को आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। जनरल चौहान मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित पहली त्रि-सेवा संगोष्ठी “रण संवाद” के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।

सीडीएस ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को केवल हथियारों में ही नहीं, बल्कि विचार, ज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी अग्रणी बनना होगा। उन्होंने 'सुदर्शन चक्र' जैसे स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह भारत की ढाल और तलवार दोनों का काम करेगा।

साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर स्पेस और क्वांटम टेक्नोलॉजी में तेज़ी से हो रहे बदलावों को अपनाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “संयुक्तता भारत के रक्षा परिवर्तन का मूल आधार है। सेनाओं के बीच समन्वय और साझा प्रशिक्षण को संस्थागत बनाना होगा। आने वाले युद्ध विचारों और तकनीक दोनों से लड़े जाएंगे, ऐसे में शोध और अकादमिक चर्चा को मजबूती देनी होगी।”

कौटिल्य का उल्लेख करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ज्ञान और रणनीति का स्रोत रहा है, मगर युद्धों के विश्लेषण और रणनीति पर अकादमिक साहित्य की कमी है। इसलिए युद्ध अध्ययन, नेतृत्व, मनोबल और तकनीक पर गंभीर शोध की आवश्यकता है।

उन्होंने रण संवाद को युवाओं और मध्यम स्तर के अफसरों के लिए उपयोगी मंच बताते हुए कहा कि यह संवाद नए विचारों, तकनीकी ज्ञान और सैन्य अनुभव के बीच सेतु का काम करेगा। जनरल चौहान ने यहां ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ में आयोजित 'रण संवाद' सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना के लिए ‘‘राष्ट्र-स्तरीय समग्र दृष्टिकोण’’ अपनाने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने संकेत दिया कि यह प्रणाली इजराइल की हर मौसम में काम करने वाली उस वायु रक्षा प्रणाली 'आयरन डोम' की तर्ज पर होगी जिसे एक प्रभावी मिसाइल शील्ड या मिसाइल रोधक के रूप में जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर इस स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली को विकसित किए जाने की परियोजना की घोषणा की थी।

इसका उद्देश्य भारत के महत्वपूर्ण सैन्य एवं असैन्य प्रतिष्ठानों की रक्षा करना और दुश्मन की किसी भी धमकी का निर्णायक जवाब देना है। यह घोषणा पाकिस्तान और चीन से उत्पन्न हो रही सुरक्षा चुनौतियों की पृष्ठभूमि में की गई थी। सीडीएस चौहान ने कहा कि इस परियोजना के तहत सेना को जमीन, वायु, समुद्री, पनडुब्बी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) तंत्र को एकीकृत करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, ‘‘तीनों सेनाओं द्वारा विभिन्न प्रणालियों को एकीकृत करने में अत्यधिक प्रयासों की आवश्यकता होगी।

इस परियोजना में व्यापक एकीकरण के साथ-साथ और कई क्षेत्रों को नेटवर्क से जोड़ना होगा ताकि सटीक स्थिति का आकलन संभव हो सके।’’ सीडीएस ने यह भी संकेत दिया कि ‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत कंप्यूटेशन, आंकड़ों के विश्लेषक, गहन आंकड़े और क्वांटम प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कथित रूप से यह संकेत दिया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य में किसी सैन्य टकराव की स्थिति में पाकिस्तान भारत की सीमावर्ती परिसंपत्तियों कोनिशाना बना सकता है जिनमें गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस रिफाइनरी भी शामिल है।

यह परियोजना 2035 तक लागू किए जाने की योजना है। रण संवाद सम्मेलन में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने त्रि-सेवा एकीकरण की आवश्यकता पर भी बल दिया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह दो दिवसीय इस सम्मेलन के समापन दिवस पर मुख्य संबोधन देंगे। सम्मेलन के दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांतों, प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य और क्षमता संबंधी रूपरेखा को भी जारी किया जाएगा।

यह कार्यक्रम एक तरह का पहला प्रयास है, जिसमें प्रत्येक विषयगत सत्र की अगुवाई सेवारत अधिकारी करेंगे और वे आधुनिक युद्ध क्षेत्रों से प्राप्त अपने प्रत्यक्ष अनुभव साझा करेंगे। यह आयोजन एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय और संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र द्वारा सेना प्रशिक्षण कमान के सहयोग से प्रमुख रक्षा अध्यक्ष के समग्र मार्गदर्शन में किया गया है।

Web Title: Sudarshan Chakra project CDS Chauhan said Army needs integrate intelligence, surveillance and reconnaissance systems in land, air, sea, submarine and space areas

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे