कृषि आंदोलन की सफलता लोगों को अधिकारों के लिए प्रेरित करेगी: प्रदर्शनकारी

By भाषा | Updated: December 9, 2021 21:42 IST2021-12-09T21:42:28+5:302021-12-09T21:42:28+5:30

Success of agricultural movement will inspire people for rights: Protesters | कृषि आंदोलन की सफलता लोगों को अधिकारों के लिए प्रेरित करेगी: प्रदर्शनकारी

कृषि आंदोलन की सफलता लोगों को अधिकारों के लिए प्रेरित करेगी: प्रदर्शनकारी

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर बिहार के रहने वाले और एम.टेक कर चुके रौशाल आलम का कहना है कि वह अपने गांव वापस जाकर किसानों के आंदोलन की ‘‘सफलता की कहानी’’ सुनाएंगे ताकि लोगों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए ‘‘प्रेरित’’ किया जा सके।

केंद्र द्वारा किसानों की लंबित मांगों को स्वीकार किए जाने के साथ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन बृहस्पतिवार को स्थगित कर दिया गया। प्रदर्शन में शामिल 40 से ज्यादा किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे। एसकेएम को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है। पत्र में किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने सहित लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई।

पिछले साल दिसंबर में बिहार के चंपारण निवासी आलम इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कतर जाने वाली अपनी बहन को विदा करने के लिए दिल्ली आए थे लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के प्रमुख स्थल गाजीपुर सीमा पर विरोध करने वाले किसानों के बीच कुछ दिनों के लिए रुकने का फैसला किया।

आलम ने कहा, ‘‘दो-तीन दिन रहने के बजाय मैंने यहां एक पूरा साल बिताया। किसानों के आंदोलन की सफलता ने उम्मीद जगाई है कि हम अन्य जगहों पर भी इसी तरह की सफलता हासिल कर सकते हैं।’’ आलम ने गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन से जुड़ी गतिविधियों और रसद के समन्वय में भी मदद की।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसानों ने केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल नवंबर में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन शुरू किया था।

किसानों के विरोध ने आलम जैसे कई युवाओं को भी आकर्षित किया जो बी.टेक के बाद एम.टेक कर चुके हैं। आलम ने कहा, ‘‘2015 में भोपाल से एमटेक करने के बाद मैंने एक कंपनी शुरू की, जो मध्य प्रदेश में बिजली के बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में काम करती थी। हालांकि, 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस के फैलने से ठीक पहले मैं बीमार पड़ गया।’’

फिर वह अपने गांव वापस चले गए और खेती शुरू कर दी। आलम ने कहा, ‘‘खेती करने के अनुभव ने मुझे हमारे देश में किसानों के सामने आने वाली समस्याओं से अवगत कराया। मैंने अपनी जमीन को दाखिल-खारिज करवाने के लिए संघर्ष किया क्योंकि मैं रिश्वत देने के लिए तैयार नहीं था। सरकारी एजेंसी से अच्छी गुणवत्ता के बीज प्राप्त करने की कोशिश की, तब रिश्वत, भ्रष्टाचार से सामना हुआ।’’

आलम ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन उनके लिए प्रशिक्षण था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मैं अब चंपारण में अपने साथी ग्रामीणों को यह बताने की स्थिति में हूं कि सरकारी तंत्र के खिलाफ कैसे लड़ें और सफलता हासिल करें। मैं घर वापस जाने पर इस संदेश को फैलाना चाहता हूं।

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Web Title: Success of agricultural movement will inspire people for rights: Protesters

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