बढ़ते एनपीए के लिए दिशानिर्देश तय करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, आरबीआई के पास जाने के लिए कहा

By विशाल कुमार | Updated: October 7, 2021 11:40 IST2021-10-07T11:32:14+5:302021-10-07T11:40:44+5:30

भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से बढ़ती गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) से संबंधित मुद्दे को हल करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की थी.

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फाइल फोटो.

Highlightsजस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने कहा कि यह मुख्य तौर नीति का मसला है और इसलिए न्यायालय इस संबंध में दिशानिर्देश नहीं बना सकता.अनुच्छेद 32 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि सुब्रमण्यन स्वामी को आरबीआई के समक्ष एक आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता होगी.

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें अदालत से बढ़ती गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) यानी फंसे कर्ज से संबंधित मुद्दे को हल करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई थी.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने कहा कि यह मुख्य तौर नीति का मसला है और इसलिए न्यायालय इस संबंध में दिशानिर्देश नहीं बना सकता.

हालांकि, अनुच्छेद 32 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि स्वामी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के समक्ष एक आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता होगी, जिसमें बढ़ते एनपीए के मुद्दे और शेयरों के बदले ऋण देने से संबंधित विशिष्ट मुद्दे के समाधान के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों में संशोधन की मांग की जा सकेगी.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए स्वामी से कहा कि हम कैसे दिशानिर्देश बना सकते हैं. यह विधायिका का अधिकार क्षेत्र है.

जब स्वामी ने विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की तो जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि पहले से ही आरबीआई का दिशानिर्देश मौजूद है.

इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह नीति निर्धारण का मामला है और हम समिति गठित करने के लिए दिशानिर्देश जारी नहीं कर सकते.

उद्योग मंडल एसोचैम और रेटिंग कंपनी क्रिसिल के पिछले महीने आए एक अध्ययन के अनुसार, बैंकों का एनपीए मार्च 2022 तक 10 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है.

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