51% भारतीय मानते हैं कि लड़कों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाना ज्यादा जरूरी: अध्ययन

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 4, 2022 06:03 PM2022-03-04T18:03:16+5:302022-03-04T18:07:22+5:30

प्यू रिसर्च सेंटर की नई रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि इस बात से अधिकांश भारतीय काफी हद तक सहमत हैं कि हमेशा ही पत्नी को अपने पति का कहना मानना चाहिए। ये रिपोर्ट 29,999 भारतीय वयस्कों के बीच 2019 के अंत से लेकर 2020 की शुरूआत तक किये गये अध्ययन पर आधारित है।

study says 51% of Indians believe it is more important to teach boys to respect women | 51% भारतीय मानते हैं कि लड़कों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाना ज्यादा जरूरी: अध्ययन

51% भारतीय मानते हैं कि लड़कों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाना ज्यादा जरूरी: अध्ययन

Highlightsज्यादातर भारतीयों (63 प्रतिशत) का कहना है कि माता-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से बेटों की होनी चाहिए।महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के तरीके के रूप में ज्यादातर भारतीय लड़कों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाने के पक्ष में हैं।

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: प्यू रिसर्च सेंटर की नई रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि इस बात से अधिकांश भारतीय काफी हद तक सहमत हैं कि हमेशा ही पत्नी को अपने पति का कहना मानना चाहिए। बता दें कि ये रिपोर्ट 29,999 भारतीय वयस्कों के बीच 2019 के अंत से लेकर 2020 की शुरूआत तक किये गये अध्ययन पर आधारित है। मतलब ये रिपोर्ट कोरोना काल से पहले की है। रिपोर्ट में इस पर गौर किया गया है कि किस तरह से भारतीय घर और समाज में लैंगिक भूमिकाओं को कहीं अधिक सामान्य रूप से देखते हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है, "भारतीय वयस्कों ने तकरीबन सार्वभौम रूप से कहा कि महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार होना जरूरी है। हर 10 में आठ लोगों ने कहा कि यह बहुत जरूरी है। हालांकि, कुछ ऐसी परिस्थितियों में भारतीयों को लगता है कि पुरुषों को वरीयता मिलनी चाहिए।" इसमें कहा गया है, "करीब 80 प्रतिशत इस विचार से सहमत हैं जब कुछ ही नौकरियां है तब पुरूषों को महिलाओं की तुलना में नौकरी करने का अधिक अधिकार है।" 

रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 10 में नौ भारतीय (87 प्रतिशत) पूरी तरह या काफी हद तक इस बात से सहमत हैं कि "पत्नी को हमेशा ही अपने पति का कहना मानना चाहिए।" इसमें कहा गया है, "हर परिस्थिति में पत्नी को पति का कहना मानना चाहिए, इस विचार से ज्यादातर भारतीय महिलाओं ने सहमति जताई।" हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे। जयललिता, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसी नेताओं का जिक्र करते हुए इसमें कहा गया है कि भारतीयों ने राजनेता के तौर पर महिलाओं को व्यापक स्तर पर स्वीकार किया है। 

अध्ययन के मुताबिक, ज्यादातर पुरुषों ने कहा कि महिलाएं और पुरूष समान रूप से अच्छे नेता होते हैं। वहीं, सिर्फ एक चौथाई भारतीयों ने कहा कि पुरूषों में महिलाओं के तुलना में बेहतर नेता बनने की प्रवृत्ति होती है। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि ज्यादातार भारतीयों का कहना है कि पुरुष और महिलाओं को कुछ पारिवारिक जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए, वहीं कई लोग अब भी परंपरागत लैंगिक भूमिकाओं का समर्थन करते हैं। जहां तक बच्चों की बात है, भारतीय इस बारे में एक राय रखते हैं कि परिवार में कम से एक बेटा (94 प्रतिशत) और, एक बेटी (90 प्रतिशत) होनी चाहिए। 

ज्यादातर भारतीयों (63 प्रतिशत) का कहना है कि माता-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से बेटों की होनी चाहिए। मुस्लिम में 74 प्रतिशत, जैन (67 प्रतिशत) और हिंदू में 63 प्रतिशत लोगों का कहना है कि माता-पिता के अंतिम संस्कार की प्राथमिक जिम्मेदारी बेटों की होनी चाहिए। वहीं, 29 प्रतिशत सिखों, 44 प्रतिशत ईसाइयों और 46 प्रतिशत बौद्ध धर्मावलंबी अपने बेटों से यह उम्मीद करते हैं। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि माता-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी बेटे और बेटी, दोनों की होनी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के तरीके के रूप में ज्यादातर भारतीय लड़कों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाने के पक्ष में हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की पिछली रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग तीन-चौथाई भारतीय वयस्क (76%) कहते हैं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा उनके देश में एक "बहुत बड़ी समस्या" है। 2010 और 2019 के बीच "महिलाओं के खिलाफ अपराध" के रूप में दर्ज पुलिस मामले लगभग दोगुने हो गए हैं, और महिलाओं के बलात्कार और हत्याओं के कारण पूरे भारत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

सर्वे में उत्तरदाताओं से पूछा गया कि उनके समुदाय में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए दो विकल्पों में से कौन अधिक महत्वपूर्ण है: लड़कों को सभी महिलाओं का सम्मान करना सिखाना या लड़कियों को उचित व्यवहार करना सिखाना। लगभग आधे भारतीयों (51%) का कहना है कि लड़कों को सभी महिलाओं का सम्मान करना सिखाना अधिक महत्वपूर्ण है, जबकि लगभग एक चौथाई (26%) का कहना है कि लड़कियों को उचित व्यवहार करना सिखाना अधिक महत्वपूर्ण है। भारतीय वयस्कों का एक अतिरिक्त चौथाई उन दो विकल्पों के बीच स्पष्ट स्थिति लेता नजर नहीं आया। 

दुनियाभर के अन्य देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों के पास लिंग भूमिकाओं पर अपेक्षाकृत पारंपरिक विचार हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में केंद्र द्वारा किए गए अन्य सर्वेक्षणों की एक श्रृंखला के अनुसार, भारतीय वयस्क महिलाओं के समान अधिकारों के समर्थन में वैश्विक औसत के अनुरूप हैं, दो अन्य उपायों से भारतीय जनता अधिक रूढ़िवादी दिखाई देती है। सर्वेक्षण में शामिल 61 देशों में से केवल एक में भारत की तुलना में वयस्कों की संख्या अधिक है, जो इस धारणा से पूरी तरह सहमत हैं कि जब नौकरियां कम हों तब पुरुषों को महिलाओं की तुलना में नौकरी के अधिक अधिकार होने चाहिए।

वहीं, सर्वेक्षण में शामिल 34 देशों में से सिर्फ दो देश भारत से अधिक हैं, जो कहते हैं कि अगर पति परिवार के लिए कमाता है और पत्नी घर व बच्चों की देखभाल करती है तो विवाह अधिक संतोषजनक होता है। बता दें कि इस प्रश्न पर इस दृष्टिकोण को मानने वाले भारतीयों का प्रतिशत (40%) वैश्विक औसत (23%) से काफी ऊपर है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Web Title: study says 51% of Indians believe it is more important to teach boys to respect women

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