पीएम मोदी ने तीन तलाक बिल पास कराने के लिए कैसे विरोधियों को साधा? जानिए पर्दे के पीछे की कहानी

By हरीश गुप्ता | Updated: July 31, 2019 07:59 IST2019-07-31T07:59:34+5:302019-07-31T07:59:34+5:30

11 सदस्यीय अन्नाद्रमुक ने इस विधेयक का विरोध किया, लेकिन वोटिंग के समय उन्होंने वही किया जो उनको बताया गया था. वहीं, राकांपा ने राज्यसभा के अपने चार सदस्यों को इस विधेयक के मामले में व्हिप जारी नहीं किया.

Story behind success of Narendra Modi government to pass triple talaq bill in rajya sabha | पीएम मोदी ने तीन तलाक बिल पास कराने के लिए कैसे विरोधियों को साधा? जानिए पर्दे के पीछे की कहानी

नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsट्रिपल तलाक पर कई गैर-राजग पार्टियां झुकीं, पीएम मोदी ने की कई नेताओं से बातपीएम मोदी ने नवीन पटनायक को व्यक्तिगत रूप से फोन कियाराकांपा ने भी नहीं जारी किया व्हिप, अन्नाद्रमुक ने वोटिंग का बहिष्कार कर सरकार का काम आसान किया

भाजपा ने तीन तलाक विधेयक पर गैर राजग पार्टियों के समर्थन के लिए जमीन-आसमान एक कर दिया. इस विधेयक को मंगलवार सुबह राज्यसभा में पेश किया गया. चूंकि सत्तारूढ़ भाजपा के पास उच्च सदन में इसे पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है इसलिए पार्टी नेतृत्व ने इसे पास कराने के लिए हर हथियार का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात सदस्यों वाले बीजद का समर्थन हासिल करने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को व्यक्तिगत रूप से फोन किया. उन्होंने अन्नाद्रमुक अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से बातकर कहा कि यदि वह इस विधेयक का समर्थन नहीं करते हैं, तो अपने सदस्यों को इस पर वोटिंग के समय राज्यसभा का बहिष्कार करने का निर्देश दें. 

11 सदस्यीय अन्नाद्रमुक ने इस विधेयक का विरोध किया, लेकिन वोटिंग के समय उन्होंने वही किया जो उनको बताया गया था. वहीं, राकांपा ने राज्यसभा के अपने चार सदस्यों को इस विधेयक के मामले में व्हिप जारी नहीं किया. यहां तक कि मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी बात की और उनको कहा कि यदि जदयू सांसद इस विधेयक का समर्थन नहीं कर सकते हैं, तो सदन का बहिष्कार करें. 

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के एक शीर्ष नेता ने तेदेपा नेता एन. चंद्रबाबू नायडू से भी इस विधेयक का विरोध नहीं करने के लिए कहा था. भाजपा की ओर से उच्च सदन के तेदेपा के चार सांसदों को तोड़ने के कारण नायडू बेहद खफा हैं. उनके दो सांसदों ने वोटिंग के समय कलाबाजी दिखा दी. 

यही नहीं, कर्नाटक में जिस जेडी (एस) की सरकार गिरा दी गई, उसके इकलौते सदस्य को भी वोटिंग से दूर रहने के लिए कहा गया था. इसी तरह प्रधानमंत्री के तेरास प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को फोन करने का यह असर हुआ कि इसके सभी छह सदस्य वोटिंग से गैर मौजूद रहे. 

कांग्रेस घटकर 47 पर सिमटी 

भाजपा को एक और सफलता तब मिली जबकि उसने कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को अपने पाले में कर लिया. वह आज सदन से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए. इससे कांग्रेस का संख्या बल घटकर 47 पर सिमट गया. इसी प्रकार सपा सांसद नीरज शेखर ने पिछले हफ्ते ही पार्टी और राज्यसभा की सदस्यता छोड़ दी थी. कांग्रेस समेत कई अन्य दलों के कई सांसद भी गैरमौजूदगी के कारण राज्यसभा की क्षमता 240 से घटकर 184 पर सिमट गई. 

'लोकमत समाचार' ने पिछले सप्ताह खबर दी थी कि राकांपा प्रमुख शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल और बसपा के सतीश मिश्रा भी मौजूद नहीं रहेंगे. विपक्षी दलों के कम से कम 30 सदस्य वोटिंग से बाहर रहे जिससे भाजपा का काम आसान हो गया.

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