लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नेता और समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को कानपुर के जाजमऊ इलाके में आगजनी के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद सात साल कैद की सजा सुनाई गई है। कानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी और तीन अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और इन सभी को सजा सुनाई गई है। समाजवादी पार्टी के नेता पर नवंबर 2022 में जाजमऊ में एक विधवा के घर में आग लगाने का आरोप है।
सोलंकी की विधानसभा सदस्यता जाने की संभावना
इस सजा के साथ ही सोलंकी उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपनी सदस्यता खोने के कगार पर हैं। मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत, कोई भी विधायक जिसे दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा मिलती है, वह विधायिका में अपने पद से स्वतः ही अयोग्य हो जाता है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि गंभीर आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए व्यक्ति विधायक के रूप में काम करना जारी नहीं रख सकते। सोलंकी को हाल ही में सुनाई गई सजा से यह स्वतः ही अयोग्यता शुरू हो गई है, जिससे विधानसभा में उनकी सीट खाली हो गई है और उपचुनाव की जरूरत पड़ गई है।
जाजमऊ थाने में मामला दर्ज
इससे पहले 1 जून को मामले में सुनवाई हुई थी। मामला कानपुर के जाजमऊ थाने में दर्ज है। सपा नेता सोलंकी को यूपी के महाराजगंज जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया, जबकि इस आगजनी मामले में आरोपी इरफान सोलंकी के छोटे भाई रिजवान सोलंकी, इसराइल आटे वाला, शौकत अली और शरीफ कोर्ट में मौजूद थे। कोर्ट ने 3 जून को इन सभी लोगों को दोषी पाया था।
क्या है मामला?
नजीर फातिमा ने 8 नवंबर 2022 को जाजमऊ थाने में इरफान सोलंकी, रिजवान सोलंकी और तीन अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 436, 506, 504, 147, 427, 386 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि इरफान सोलंकी और उसके भाई रिजवान सोलंकी और अन्य ने साजिश के तहत उसके घर में आग लगा दी ताकि वे उसकी जमीन पर कब्जा कर सकें। गौरतलब है कि सोलंकी यूपी की महाराजगंज जेल में बंद है और उसका भाई कानपुर जेल में बंद है।