शोपियां पथरावः फौजियों के बच्चों ने खटखटाया NHRC का दरवाजा, तो रक्षा मंत्रालय से मांगी रिपोर्ट
By रामदीप मिश्रा | Updated: February 9, 2018 17:06 IST2018-02-09T17:03:05+5:302018-02-09T17:06:35+5:30
कश्मीर के शोपियां में पथराव की घटनाओं में शुक्रवार (9 फरवरी) को मानवाधिकार आयोग ने जवानों के मानवाधिकारों के हनन की शिकायत पर रक्षा मंत्रालय से चार सप्ताह में वास्तविक रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

शोपियां पथरावः फौजियों के बच्चों ने खटखटाया NHRC का दरवाजा, तो रक्षा मंत्रालय से मांगी रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर में 27 जनवरी को शोपियां जिले के गानोपोरा गांव में सेना के काफिले पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले में सेना की गोलीबारी से दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी, जिसके बाद सूबे की सरकार ने सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। मामला बढ़ा तो सेना के जवानों के बच्चे आगे आए, जिन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का दरवाजा खटखटाया और और सेना के जवानों के मानवाधिकारों के हनन की शिकायत दर्ज करवाई।
इसके बाद शुक्रवार (9 फरवरी) को मानवाधिकार आयोग ने पथराव की घटनाओं में जवानों के मानवाधिकारों के हनन की शिकायत पर रक्षा मंत्रालय से चार सप्ताह में वास्तविक रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
आयोग ने रक्षा मंत्रालय और सरकार से कहा है कि चूंकि उन्हें घाटी की असल स्थिति की जानकारी होगी, इसलिए सारे तथ्यों सहित एक वास्तविक रिपोर्ट जमा कराई जाए। जिससे यह पता चल सके कि सैन्य जवानों के मानवाधिकार की हालत क्या है। आयोग ने यह कदम सेना के अधिकारियों के तीन बच्चों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए उठाया है।
बच्चों ने शिकायत में कहा था कि उग्र भीड़ ने जवानों पर पथराव कर दिया था, ऐसी घटनाओं से वे चिंतित हैं। शिकायत में यह भी कहा गया है कि प्रशासन सशस्त्र सेनाओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा है।
गौरतलब है कि शोपियां जिले के गानोपोरा गांव में सेना के काफिले पर भीड़ ने हमला कर दिया था, जिसके बाद तनाव फैल गया था। इस हमले में सेना की गोलीबारी में दो युवा प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी, जबकि आठ अन्य प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे। इस मामले में दो नागरिकों की मौत को लेकर प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करवाई गई थी।
वहीं, सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी घटना की जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने सेना की गढ़वाल इकाई के 10 कर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302, 307 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें मेजर का भी नाम लिया गया था और घटना के समय सैनिकों का नेतृत्व करना बताया गया था।
27 जनवरी को इस घटना के संबंध में पुलिस अधिकारियों का कहना था कि शोपियां जिले के गनोवपुरा गांव से गुजर रहे सेना के काफिले पर पथराव हुआ। सुरक्षा बलों ने इन प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए कथित तौर पर कई राउंड फायरिंग की, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए थे।