नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य के लोग भाजपा को चुनने के एक साल बाद छला महसूस कर रहे हैं। गौरतलब है कि आदिवासियों और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के सदस्यों के बीच हिंसक झड़पों के बाद तीन मई को कर्फ्यू लगा दिया गया था। हिंसा में अब तक हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और कम से कम 54 लोगों की मौत हो चुकी है।
शशि थरूर ने रविवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा- लोगों ने प्रदेश सरकार को जिस कार्य के लिए चुना था, वह उसमें विफल रही है।मणिपुर के लोग भाजपा को फिर से सत्ता में लाने के एक साल बाद छला महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि मणिपुर में हिंसा जारी है, प्रदेश सरकार ने जिस सुशासन का वादा किया गया था, उसका क्या हुआ।
हिंसा के बाद अबतक 13 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। 1100 से अधिक लोगों ने असम में शरण लिया है। मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी।
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मैतई समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था।
हिंसा प्रभावित मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में रविवार सुबह कर्फ्यू में तीन घंटे की ढील दी गई थी, ताकि लोग दवा और भोजन जैसी आवश्यक वस्तुएं खरीद सकें। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत लगाए गए कर्फ्यू में सुबह सात बजे से सुबह 10 बजे तक ढील दी गई थी।
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शनिवार को राज्य के लोगों से भाईचारा बनाए रखने और भय एवं असुरक्षा की भावना को दूर करने की अपील की।