नई दिल्ली: बीती 2 मई को एनसीपी के अध्यक्ष पद छोड़ने कर के शरद पवार ने सबको चौंका दिया था। उनके इस फैसले के बाद से ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लगातार पवार से फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील कर रहे थे। अब 5 मई को शरद पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
अपने फैसले की जानकारी देते हुए पवार ने कहा, "मैं आपकी भावनाओं का अपमान नहीं कर सकता। आपके प्यार की वजह से मुझसे इस्तीफा वापस लेने की मांग और एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा पारित प्रस्ताव का मैं सम्मान कर रहा हूं। मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अपने निर्णय को वापस लेता हूं।"
इससे पहले का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एनसीपी की 16 सदस्यीय कोर कमेटी की शुक्रवार को मुंबई में मीटिंग हुई थी। मीटिंग में सर्वसम्मति से पवार से फैसला वापस लेने का अनुरोध किया था। साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने पवार का इस्तीफा खारिज करने के लिए प्रस्ताव पेश किया जिसका बाकी सदस्यों ने समर्थन किया।
कोर कमेटी की मीटिंग के बाद एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने बताया था, "शरद पवारजी ने हम लोगों को सूचना दिए बिना फैसला लिया। सभी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की मांग पर कमेटी ने उनका इस्तीफा खारिज कर दिया। हमने उनसे पार्टी अध्यक्ष बने रहने की अपील की है। हमने उनसे अपील की है कि देश और पार्टी को आपकी जरूरत है। केवल NCP ही नहीं, दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी यह रिक्वेस्ट की है कि शरद पवार अध्यक्ष बने रहें। शरद पवार जी का कद और उनका सम्मान अलग है। हम अभी नया अध्यक्ष नहीं चुन पाएंगे। हम चाहते हैं कि पवार साहब अपना कार्यकाल पूरा करें।"
पवार इस समय महाविकास अघाड़ी के मुखिया भी हैं। अब कई राजनीतिक पंडित ये मान रहे हैं कि इस्तीफे के दांव के जरिए उन्होंने दिखा दिया कि वही पार्टी के असली मुखिया हैं बाकी कोई और नेता पर पार्टी कार्यकर्ता एकमत होने के लिए तैयार नहीं हैं। इस दांव से पवार से ये संकेत भी दे दिया कि लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले वही भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ राष्ट्रीय विपक्ष को एकजुट रखने की ताकत रखते हैं।